एसएमओ नरवाना की जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं सिविल सर्जन कार्यालय
नरवाना के सिविल अस्पताल में 4 साल की बच्ची को एल्बेंडाजोल की गोलियों की जगह अन्य दवा की हेवी डोज देने के मामले में जींद का सिविल सर्जन कार्यालय नरवाना के एसएमओ की जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है। सिविल सर्जन कार्यालय सोमवार को अपनी तरफ से जांच कमेटी गठित कर मामले की गहन जांच करवाएगा। 2 अप्रैल को नरवाना के बद्दोवाल गांव का संजय अपनी बेटी निधि को नरवाना के सिविल अस्पताल में लेकर आया था। उसकी बेटी का डॉक्टर ने चेकअप करने के बाद उसे एल्बेंडाजोल की गोलियां लिखी थी, मगर नरवाना के सिविल अस्पताल के दवा काउंटर पर बैठे शख्स ने वह दवा दे दी, जो किसी को दौरे पड़ने पर दी जाती है। इस दवा की भी 400 एमजी की गोलियां दी गईं, जिसे खाते ही निधि बेहोश हो गई थी। परिजन उसे जींद के सिविल अस्पताल लेकर आए थे, जहां उसे दो दिन दाखिल रखा गया और शुक्रवार को जब निधि खतरे से बाहर हो गई तो उसे डिस्चार्ज किया गया था।
आखिर इतनी बड़ी चूक हुई कैसे, इसका नहीं जिक्र
इस गंभीर मामले में सिविल सर्जन के आदेश पर नरवाना के एसएमओ डॉ. देवेंद्र बिंदलिश ने जो जांच रिपोर्ट सिविल सर्जन को भेजी है, उससे सिविल सर्जन कार्यालय संतुष्ट नहीं है। एसएमओ नरवाना ने अपनी जांच रिपोर्ट में यह साफ नहीं किया है कि दवा देने में इतनी बड़ी चूक कैसे और किसके स्तर पर हुई। किसी पर कार्रवाई की सिफारिश भी एसएमओ ने इतने गंभीर मामले में नहीं की है। सिविल सर्जन कार्यालय नरवाना के एसएमओ की जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है। सोमवार को सिविल सर्जन कार्यालय अपनी तरफ से तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित करेगा, जो मामले की गहन जांच कर इसका खुलासा करेगी कि इतनी बड़ी चूक के लिए कौन जिम्मेदार है, और यह चूक कैसे हुई। डिप्टी सिविल सर्जन डॉ पालेराम कटारिया ने कहा कि सोमवार को मामले में एक अलग जांच कमेटी बनाकर उसे जांच सौंपी जाएगी।
तो इंटर्न संभाल रहे काउंटर
नरवाना के सिविल अस्पताल में बच्ची की जिंदगी से खिलवाड़ करने के मामले में सामने आया है कि दवा काउंटर पर निधि के पिता को दवा किसी फार्मेसी इंटर्न द्वारा दी गई। जींद और नरवाना के सरकारी अस्पतालों में दवा काउंटर से लेकर लैब आदि में सब काम इंटर्न पर छोड़ दिया गया है। नियमित कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी इंटर्न पर डाल कर चले जाते हैं और इंटर्न से ऐसी गलती होने की आशंका हर समय रहती है। जींद के सिविल अस्पताल की लैब में नियमित एलटी की जगह इंटर्न ही टेस्ट लगाते हैं और उनकी टेस्ट रिपोर्ट कई बार बहुत गलत होती है। नियम के अनुसार सरकारी अस्पताल में फार्मेसी इंटर्न केवल फार्मासिस्ट की देखरेख में और उससे चेक करवाकर ही दवा दे सकता है। इसी तरह लैब में भी इंटर्न केवल ट्रेंड और नियमित एलटी की देखरेख में टेस्ट लगाने की विधि सीख सकते हैं। वे अपने स्तर पर लैब में टेस्ट लगाकर रिपोर्ट नहीं दे सकते।