बदलते हालात में युवाओं का कनाडा से मोहभंग
पिछले करीब पांच दशकों से यही माना जाता था कि जो कोई भी कनाडा जाकर बसा, उसका अनुभव आमतौर बढ़िया रहा। अपना भविष्य संवारने को विदेश जाकर बसने को कनाडा एक तरजीही गंतव्य था। लेकिन अब वहां के हालात बहुत कठिन हैं। प्रवासी या तो अन्य देशों का रुख करने लगे हैं या फिर वतन लौटना पड़ रहा है। ‘द लिकी बकेट ः स्टडी ऑफ इमीग्रेंट रिटेन्शन ट्रेंड्स इन कनाडा’ शीर्षक से हालिया अध्ययन बताता है कि अस्सी के दशक से कनाडा छोड़ अन्य देशों में बसने वाले आप्रवासियों की संख्या में बढ़ोतरी होती चली गई। यह संख्या वर्ष 2017 और 2019 के बीच सर्वाधिक रही। कोविड महामारी के बाद इनकी गिनती ज्यादा रहनी स्वाभाविक थी क्योंकि कनाडा की आर्थिकी में ह्रास हुआ है।
आप्रवासियों का कनाडा से पलायन या फिर मूल-राष्ट्र वापसी की दर बढ़ने से आयु वर्गों के बीच अनुपात संतुलन पर नकारात्मक असर पड़ना लाजिमी है। वर्ष 2010 में कुल जनसंख्या में 65 साल या उससे बड़े लोगों की संख्या 14.1 प्रतिशत थी, जो कि 2022 में बढ़कर 19 फीसदी हो गई। यदि आगंतुक आप्रवासियों के प्रवाह पर ऐसे ही अंकुश रहा तो यह अनुपात अंतर और चौड़ा होगा। इससे सरकार के कर-संग्रहण एवं व्यय खाते पर बहुत फर्क पड़ता है क्योंकि करदाताओं की संख्या कम हो रही है और पेंशनभोगियों या फिर गुज़र-बसर के लिए मदद के पात्रों की गिनती बढ़ रही है। बुजुर्ग वर्ग के बढ़ते अनुपात से स्वास्थ्य सेवा ढांचे पर और बोझ पड़ेगा।
इस स्थिति ने सरकार और नीति-निर्धारकों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी। नीति-निर्धारक कनाडा में युवा कार्यबल बढ़ाने को विभिन्न आप्रवास नीतियों के जरिये युवाओं को बुलाने पर निर्भर हैं। इस नीति के तहत जो अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थी पढ़ाई पूरी कर ले और शिक्षा उपरांत कार्यानुभव की न्यूनतम अविध की शर्त भी पूरी करता हो, उसे स्थाई-निवास अनुमति (पीआर) पाने की पेशकश होती है। वर्ष 2024 में 4,85,000 और 2025 में 5,00,000 पीआर परमिट देना तय किया गया है।
कनाडा के नए आप्रवासियों का समूह उच्च कौशल कर्मी, अस्थाई विदेशी कामगार और अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों से मिलकर बना है। प्रत्येक श्रेणी को अलग किस्म की मुश्किलें दरपेश हैं। जो उच्च-कौशल कर्मी बड़े उत्साह से कनाडा में भविष्य बनाने पहुंचे थे, यहां आने के बाद उन्हें भी मुश्किलें हो रही हैं। नियमानुसार जरूरी कौशल और अनुभव होने के बावजूद उन्हें अपने कार्यक्षेत्र में सुरक्षित काम मिलना मुश्किल है। वे कम मेहनताना कबूल कर रहे हैं। अधिकांश कनाडाई नियोक्ता नए आप्रवासियों की अपने मूल देश में पाई शिक्षा और कार्यानुभव को मान्यता नहीं देते। कुछ नौकरी प्रदाताओं की तरजीह उत्तरी अमेरिका से पढ़कर आने वालों को रखने पर है।
यहां कार्य-लाइसेंस प्रक्रिया जटिल व महंगी है और पूरी होने में काफी वक्त भी लगता है। कनाडा सरकार द्वारा नियमों मे ढील देकर, दाखिले के तुरंत बाद शिक्षा-परिसर से बाहर अस्थाई काम करने की अनुमति देने के बाद अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या बढ़ने लगी। अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों की आमद से कनाडाई अर्थव्यवस्था बहुत लाभान्वित होती है। वर्ष 2022 में शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा-परमिट पाए विद्यार्थियों की संख्या 8 लाख से अधिक थी। उस साल अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के आने से कनाडाई अर्थव्यवस्था में करीब 22 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ, और 2 लाख से अधिक स्थानीय लोगों की आय का सबब बना।
आमतौर पर नियोक्ता अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों को न्यूनतम वेतन देते हैं, लिहाजा यह छोटे दुकानदारों का कम श्रमिक खर्च में अधिक मुनाफा बनाने में सहायक होता है। दो साल की पढ़ाई और एक साल कनाडा में कार्य-अनुभव के बाद कोई विद्यार्थी पीआर पाने योग्य हो जाता है, लेकिन पीआर उन्हें मिलती है जिनका कॉम्प्रिहेंसिव रैंकिंग सिस्टम (सीआरएस) में तयशुदा स्कोर बनता हो। जिसके आधार पर आकलन कर एक्सप्रेस एंट्री पूल के लिए स्कोर और रैंकिंग निर्धारण किया जाता है। सीआरएस स्कोर आवेदक की क्षमताएं जैसे भाषा बोलने-समझने की काबिलियत, शिक्षा, कार्यानुभव और उम्र से जुड़ा है। साल 2022 के लिए, हरेक पूल में सीएसआर स्कोर की न्यूनतम योग्यता विभिन्न चक्र में अलग-अलग है, प्रत्येक चक्र में न्यूनतम सीएसआर स्कोर का कट-ऑफ अधिकांशतः 491 से 557 के बीच रखा गया है। किसी पूल में कट-ऑफ वैल्यू, आवेदनकर्ताओं की कुल संख्या, उनके सीएसआर स्कोर और आव्रजन विभाग ने कितने आवेदन पाने को मंजूरी दी है, इनके मद्देनज़र तय होती है। बीते तेईस अक्तूबर तक पूल में 2,14,874 आवेदन आए और इनमें केवल 3600 युवाओं को, जिनका सीएसआर स्कोर 431 से ऊपर रहा, अगले चयन चक्र के लिए बुलाया गया। अन्य रोजगार क्षेत्र में भी कामगारों की जरूरत न्यूनतम होने के कारण, आवेदकों को अन्य तरीकों से अतिरिक्त अंक हासिल करने में हो सकता है कई महीने या फिर कई साल इंतजार करना पड़े। हालांकि तब तक, वे तीन वर्षीय वर्क परमिट वाली अस्थाई कामगार श्रेणी में गिने जाएंगे। किसी नियोक्ता का नियुक्ति पत्र हाथ में होने पर अतिरिक्त अंक का दावा बन जाता है और इसके आधार पर लेबर मार्केट इम्पैक्ट वैल्यूएशन एसेसमेंट का अनुमोदन मिलता है। लेकिन यह कह देना बड़ा आसान है और करना मुश्किल क्योंकि जब किसी पूल में आवेदकों की संख्या बहुत अधिक हो और नौकरी के अवसर काफी कम, तो बहुत से पीआर चाहवानों को विभाग से बुलावा नहीं मिलता।
कभी-कभार सरकार सीएसआर स्कोर उत्तीर्णता सीमा में ढील देती है, जैसा कि 2021 में इसे घटाकर 75 कर दिया तो लाखों आवेदकों को लाभ हुआ। लेकिन अगली बार छूट कब होगी, पक्का नहीं। नतीजतन, कुछ विद्यार्थियों को अपने देश लौटना होगा। देखा गया है कि भारतीय छात्र लचीला रुख रखते हैं और लंबे समय इंतजार करते हैं या अपने सीएसआर स्कोर में बढ़ोतरी के लिए कोई अन्य हीला-हवाला अपनाने का प्रयास करते हैं। लेकिन यह बात सब पर लागू नहीं होती। सीबीसी न्यूज़, कनाडा ने 30 अप्रैल, 2022 को सरकारी आंकड़ों के हवाले से बताया कि अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में 50 फीसदी का पढ़ाई के एक साल बाद कोई टैक्स-रिकॉर्ड नहीं है, जिससे माना जा सकता है कि वे कनाडा छोड़कर जा चुके हैं।
उपरोक्त व्यवस्थागत बाधाओं के अलावा नीतियों में बदलाव और कनाडा में जीवनयापन खर्च में भारी इजाफा आप्रवासियों को कनाडा-स्वप्न त्यागने को मजबूर कर रहा है। कनाडा मुद्रास्फीति की जकड़ में है और आय में आनुपातिक वृद्धि न होने के कारण लोगों की बचत घट रही है। आव्रजनों, शरणार्थियों और नागरिकता के चाहवानों को कनाडा बेशक पनाह देता है, लेकिन उनके यहां बसने और बने रहने के लिए बहुत कम उपाय करता है। पीआर पाने की राह जटिलताओं और बाधाओं से भरी पड़ी है, स्पष्टता नहीं है और अप्रत्याशित नीतियों से चालित है। लेकिन तमाम मुश्किलों के बावजूद अभी भी भारतीयों की कतारें कनाडा की ओर क्यों हैं? आप्रवास में धक्का और खिंचाव के रूप में दो बल काम करते हैं। भले ही कनाडा का खिंचाव कमजोर पड़ा हो लेकिन भारतीयों का धक्का अभी भी तगड़ा है।
लेखक यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्दन ब्रिटिश कोलंबिया में प्रोफेसर रहे हैं।