हरित परिवर्तन और आशा के अग्रदूत बनें युवा
07:06 AM Aug 12, 2023 IST
युवाओं में भारत को और अधिक बेहतर बनाने की अपार क्षमता है। वे नशाखोरी, गरीबी और बेरोजगारी जैसी सामाजिक बुराइयों और चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि, लोगों के व्यापक हित में उनकी प्रतिभा को उजागर करने के लिए उन्हें सही प्रकार के मानवीय मूल्यों, कौशल और ज्ञान से परिपूर्ण करना समय की मांग है। किसी राष्ट्र की प्रगति युवा ऊर्जा के सर्वाेत्तम और सकारात्मक उपयोग पर निर्भर करती है। अगर युवा गुमराह हों तो समाज को बहुत नुकसान होता है। हमने जापान में युवाओं की ताकत देखी है। इसके दो शहर- हिरोशिमा और नागासाकी- द्वितीय विश्व युद्ध में राख में बदल गए थे। कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और सकारात्मकता के दम पर जापान के युवाओं ने न केवल दो तबाह शहरों का बल्कि पूरे देश का पुनर्निर्माण किया। आज जापान विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्था है। यही देशभक्ति एवं राष्ट्रवाद की शक्ति है।
आज अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस की थीम भी उपयुक्त है- ‘युवाओं के लिए हरित कौशल’ एक सतत विश्व की ओर। हरित कौशल क्या हैं? ये एक टिकाऊ और संसाधन-कुशल समाज में रहने, विकसित करने और समर्थन करने के लिए आवश्यक ज्ञान, योग्यताएं, मूल्य और दृष्टिकोण हैं। युवाओं के बीच हरित कौशल को बढ़ावा देना न केवल उन्हें उभरते हरित उद्योगों में भविष्य में नौकरी के अवसरों के लिए तैयार करता है, बल्कि पर्यावरणीय प्रबंधन के प्रति जिम्मेदारी की भावना को भी बढ़ावा देता है। युवाओं को सशक्त बनाने के लिए सरकार, शैक्षणिक संस्थान और निजी संगठन हरित कौशल के साथ प्रशिक्षण, शिक्षा और संसाधन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ये कौशल जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी और पर्यावरणीय गिरावट की चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से संबंधित ज्ञान और कौशल विकास के लिए महत्वपूर्ण है। नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षित युवा स्वच्छ ऊर्जा प्रणालियों के डिजाइन, स्थापना और रखरखाव में योगदान दे सकते हैं। इसी तरह, नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को समझने से युवाओं को इमारतों से लेकर परिवहन तक विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा की खपत और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के अवसरों की पहचान करने में मदद मिल सकती है।
संसाधन प्रबंधन में कौशल रखने वाले युवा कृषि और जल प्रबंधन में स्थायी प्रथाओं में योगदान दे सकते हैं। अपशिष्ट प्रबंधन सिद्धांतों और पुनर्चक्रण तकनीकों का ज्ञान युवाओं को अपने समुदायों में अपशिष्ट कटौती और पुनर्चक्रण पहल के लिए नवीन समाधान विकसित करने के लिए सशक्त बना सकता है। पर्यावरण निगरानी और विश्लेषण में कौशल युवाओं को पर्यावरणीय मुद्दों का आकलन और समाधान करने, बेहतर निर्णय लेने और सतत विकास में योगदान करने में सक्षम बनाता है।
वास्तव में खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत साल 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने और 2070 तक शुद्ध-शून्य तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्रीय बजट 2023-24 में कई ऐतिहासिक निर्णयों की घोषणा की गई है जो भारत के हरित ऊर्जा परिवर्तन के प्रति सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, ऊर्जा संक्रमण और शुद्ध शून्य उद्देश्यों की दिशा में प्राथमिकता वाले पूंजी निवेश के लिए 35,000 करोड़ रुपये, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा संक्रमण को सुविधाजनक बनाने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए 19,700 करोड़ रुपये तय हैं। इसी तरह, 4,000 मेगावाट की क्षमता वाली बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम को वायबिलिटी गैप फंडिंग से समर्थन दिया जाएगा। गोलाकार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए गोबरधन (गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन) योजना के तहत 500 नए ‘कचरे से धन’ संयंत्र स्थापित किए जाएंगे।
हालांकि, हमारे युवा सर्वाेत्तम कौशल हासिल करने और उनका अधिकतम लाभ उठाने में तभी सक्षम होंगे यदि वे ईमानदारी, सहानुभूति, सम्मान, अखंडता और करुणा जैसे मानवीय मूल्यों से अच्छी तरह सुसज्जित होंगे। जब युवा मानवीय मूल्यों को आत्मसात करते हैं, तो वे अपने कार्यों और निर्णयों के प्रति अधिक जागरूक हो जाते हैं, जिससे उनके व्यवहार और समाज पर इसके प्रभाव के प्रति जवाबदेही की भावना पैदा होती है। युवाओं में मानवीय मूल्यों को स्थापित करने से सामाजिक जिम्मेदारी की भावना पैदा होती है, जिससे उन्हें सामुदायिक सेवा में सक्रिय रूप से शामिल होने और अपने आसपास की दुनिया की बेहतरी में सकारात्मक योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
हमें अपने युवाओं में सभी बाधाओं के बावजूद आगे बढ़ने की भावना विकसित करने की आवश्यकता है जब तक कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य हासिल नहीं हो जाता। स्वामी विवेकानंद ने कहा था- ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।’ उन्होंने कहा कि ‘हमारे युवाओं में लोहे की मांसपेशियां, स्टील की नसें और विशाल दिल होना चाहिए।’ निःसंदेह, हमारे युवाओं को शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से सचेत और चरित्र में मजबूत होना चाहिए। इसी भावना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिट इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की। यहां मैं एक और महत्वपूर्ण कहावत का भी उल्लेख करना चाहूंगा- ‘यदि धन खो गया, तो कुछ भी नहीं खोया। यदि स्वास्थ्य खो गया, तो कुछ खो गया लेकिन यदि चरित्र खो गया, तो सब कुछ खो गया।’ आत्मविश्वास, राष्ट्रवादी उत्साह और मानवीय मूल्यों से परिपूर्ण युवा ही हमारे लिए वास्तविक संपत्ति होंगे। चरित्र निर्माण हमारे स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए फोकस का क्षेत्र होना चाहिए। आइए, अपने युवाओं को आशा, हरित और सकारात्मक बदलाव का अग्रदूत बनने के लिए तैयार करें।
बंडारू दत्तात्रेय
आज अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस की थीम भी उपयुक्त है- ‘युवाओं के लिए हरित कौशल’ एक सतत विश्व की ओर। हरित कौशल क्या हैं? ये एक टिकाऊ और संसाधन-कुशल समाज में रहने, विकसित करने और समर्थन करने के लिए आवश्यक ज्ञान, योग्यताएं, मूल्य और दृष्टिकोण हैं। युवाओं के बीच हरित कौशल को बढ़ावा देना न केवल उन्हें उभरते हरित उद्योगों में भविष्य में नौकरी के अवसरों के लिए तैयार करता है, बल्कि पर्यावरणीय प्रबंधन के प्रति जिम्मेदारी की भावना को भी बढ़ावा देता है। युवाओं को सशक्त बनाने के लिए सरकार, शैक्षणिक संस्थान और निजी संगठन हरित कौशल के साथ प्रशिक्षण, शिक्षा और संसाधन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ये कौशल जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी और पर्यावरणीय गिरावट की चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से संबंधित ज्ञान और कौशल विकास के लिए महत्वपूर्ण है। नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षित युवा स्वच्छ ऊर्जा प्रणालियों के डिजाइन, स्थापना और रखरखाव में योगदान दे सकते हैं। इसी तरह, नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को समझने से युवाओं को इमारतों से लेकर परिवहन तक विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा की खपत और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के अवसरों की पहचान करने में मदद मिल सकती है।
संसाधन प्रबंधन में कौशल रखने वाले युवा कृषि और जल प्रबंधन में स्थायी प्रथाओं में योगदान दे सकते हैं। अपशिष्ट प्रबंधन सिद्धांतों और पुनर्चक्रण तकनीकों का ज्ञान युवाओं को अपने समुदायों में अपशिष्ट कटौती और पुनर्चक्रण पहल के लिए नवीन समाधान विकसित करने के लिए सशक्त बना सकता है। पर्यावरण निगरानी और विश्लेषण में कौशल युवाओं को पर्यावरणीय मुद्दों का आकलन और समाधान करने, बेहतर निर्णय लेने और सतत विकास में योगदान करने में सक्षम बनाता है।
वास्तव में खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत साल 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने और 2070 तक शुद्ध-शून्य तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्रीय बजट 2023-24 में कई ऐतिहासिक निर्णयों की घोषणा की गई है जो भारत के हरित ऊर्जा परिवर्तन के प्रति सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, ऊर्जा संक्रमण और शुद्ध शून्य उद्देश्यों की दिशा में प्राथमिकता वाले पूंजी निवेश के लिए 35,000 करोड़ रुपये, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा संक्रमण को सुविधाजनक बनाने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए 19,700 करोड़ रुपये तय हैं। इसी तरह, 4,000 मेगावाट की क्षमता वाली बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम को वायबिलिटी गैप फंडिंग से समर्थन दिया जाएगा। गोलाकार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए गोबरधन (गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन) योजना के तहत 500 नए ‘कचरे से धन’ संयंत्र स्थापित किए जाएंगे।
हालांकि, हमारे युवा सर्वाेत्तम कौशल हासिल करने और उनका अधिकतम लाभ उठाने में तभी सक्षम होंगे यदि वे ईमानदारी, सहानुभूति, सम्मान, अखंडता और करुणा जैसे मानवीय मूल्यों से अच्छी तरह सुसज्जित होंगे। जब युवा मानवीय मूल्यों को आत्मसात करते हैं, तो वे अपने कार्यों और निर्णयों के प्रति अधिक जागरूक हो जाते हैं, जिससे उनके व्यवहार और समाज पर इसके प्रभाव के प्रति जवाबदेही की भावना पैदा होती है। युवाओं में मानवीय मूल्यों को स्थापित करने से सामाजिक जिम्मेदारी की भावना पैदा होती है, जिससे उन्हें सामुदायिक सेवा में सक्रिय रूप से शामिल होने और अपने आसपास की दुनिया की बेहतरी में सकारात्मक योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
हमें अपने युवाओं में सभी बाधाओं के बावजूद आगे बढ़ने की भावना विकसित करने की आवश्यकता है जब तक कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य हासिल नहीं हो जाता। स्वामी विवेकानंद ने कहा था- ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।’ उन्होंने कहा कि ‘हमारे युवाओं में लोहे की मांसपेशियां, स्टील की नसें और विशाल दिल होना चाहिए।’ निःसंदेह, हमारे युवाओं को शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से सचेत और चरित्र में मजबूत होना चाहिए। इसी भावना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिट इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की। यहां मैं एक और महत्वपूर्ण कहावत का भी उल्लेख करना चाहूंगा- ‘यदि धन खो गया, तो कुछ भी नहीं खोया। यदि स्वास्थ्य खो गया, तो कुछ खो गया लेकिन यदि चरित्र खो गया, तो सब कुछ खो गया।’ आत्मविश्वास, राष्ट्रवादी उत्साह और मानवीय मूल्यों से परिपूर्ण युवा ही हमारे लिए वास्तविक संपत्ति होंगे। चरित्र निर्माण हमारे स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए फोकस का क्षेत्र होना चाहिए। आइए, अपने युवाओं को आशा, हरित और सकारात्मक बदलाव का अग्रदूत बनने के लिए तैयार करें।
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लेखक हरियाणा के राज्यपाल हैं।
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