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अध्यात्म के मायने
दैनिक ट्रिब्यून के दो मार्च के रविवारीय पृष्ठ पर स्वामी मुक्तानंद महाराज से अरुण नैथानी की बातचीत अत्यंत प्रभावशाली रही। स्वामी मुक्तानंद, जो पंजाब के एक संभ्रांत परिवार में जन्मे, ने अर्थशास्त्र और अंग्रेजी में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की थी और उन्हें केंब्रिज तथा ऑक्सफोर्ड में प्रोफेसर बनने का प्रस्ताव मिला था। केंब्रिज में नौकरी की लेकिन नब्बे के दशक में उन्होंने सब कुछ छोड़कर अध्यात्म की राह अपनाई। स्वामी जी ने बताया कि पंजाब में संतों को अक्सर हेय भाव से देखा जाता था। इसलिए उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़
एकता और अनुशासन
प्रयागराज में महाकुंभ-2025 धार्मिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और दार्शनिक दृष्टि से अभूतपूर्व था। 60 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई, जो भारतीय जनमानस की गहरी आस्था और संस्कृति को दर्शाता है। महाकुंभ ने विविधता में एकता का संदेश दिया और संत-समाज के अनुशासन ने उसे और विशिष्ट बना दिया। उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन की सूझबूझ से आयोजन को नई पहचान मिली, जिसने धार्मिक, आध्यात्मिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से अमिट छाप छोड़ी।
सोहन लाल गौड़, बाहमनीवाला, कैथल
न बांटी जाएं रेवड़ियां
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा महिलाओं को 2500 रुपये देने का वादा फिलहाल टल जाना एक सकारात्मक कदम है, क्योंकि यह घोषणा केवल वोट के लिए की गई मुफ्त की रेवड़ी जैसी थी। मुफ्त की योजनाएं न केवल देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि लोगों को आलसी और परजीवी भी बना देती हैं। केन्द्र और राज्य सरकारें पहले ही कर्ज के बोझ तले दबी हुई हैं। इन योजनाओं का विस्तार और बढ़ती गैर योजनागत योजनाएं स्थिति को और भी जटिल बना रही हैं। ये राज्य की आर्थिकी को कमजोर बना देती हैं।
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, म.प्र.
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