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आयुर्वेद की शक्ति
‘शतायु जीवन के संकल्प’ संपादकीय 19 नवम्बर, दैनिक ट्रिब्यून में आयुर्वेद की असली ताकत को उजागर किया गया है, जिसे दुनिया भर में पहचाना जाता है, लेकिन चुनींदा लोग ही इसका उपयोग करते हैं। शरीर में कोई भी बीमारी कितनी भी गंभीर क्यों न हो, अगर उसका उचित तरीके से इलाज किया जाए, तो जानलेवा बीमारी से भी छुटकारा पाया जा सकता है। आज भले ही एलोपैथी का प्रचलन हो, लेकिन रोग के जड़ से निदान के लिए भारतीय आयुर्वेद अधिक प्रभावी है। अफसोस की बात है कि भारतीय लोग पश्चिमी चिकित्सा पद्धतियों में विश्वास करते हैं, जो बीमारी का इलाज तो करती हैं, लेकिन स्थायी समाधान नहीं देतीं।
अमृतलाल मारू, इंदौर, म.प्र.
विवेकशील बने मतदाता
इक्कीस नवंबर के दैनिक ट्रिब्यून में विश्वनाथ सचदेव के लेख ने संकीर्णता की राजनीति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों में घटिया राजनीति और सांप्रदायिक नारों की निंदा की। वे बताते हैं कि भाजपा संविधान की धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन कर रही है और कांग्रेस पर तुष्टीकरण का आरोप लगाती है। उनका मानना है कि 2024 में प्रधानमंत्री मोदी का प्रभाव कम हुआ है, और अब भाजपा सांप्रदायिकता को भुना रही है। चुनावी माहौल में सही उम्मीदवार चुनने में मतदाता मुश्किल में हैं।
शामलाल कौशल, रोहतक
सेहत का रखें ख्याल
भागती दौड़ती जिंदगी और व्यस्तता के चलते लोग अपनी सेहत के प्रति लापरवाह हो गए हैं। आफिस में घंटों लगातार बैठे रहना, ग़लत खान-पान और खराब जीवनशैली के चलते मोटापा, शुगर, हाई बीपी और कोलेस्ट्रोल में बढ़ोतरी हो रही है जिससे दिल के दौरे की संभावना बढ़ रही है। लोगों को शारीरिक व्यायाम, सही खान-पान, जीवनशैली में बदलाव, खून की नियमित जांच और समय-समय पर डाक्टरी सलाह ले खुद को स्वस्थ और बीमारियों को दूर रखना चाहिए।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली