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कातिल सड़कें
भारत में सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति चिंताजनक है, जहां हर साल डेढ़ लाख लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं, और 2014-2023 तक 15.3 लाख मौतें हुईं। भारत की सड़क दुर्घटनाओं की दर अन्य देशों की तुलना में बेहद उच्च है, जहां 10,000 किलोमीटर पर 250 मौतें होती हैं, जबकि अमेरिका, चीन और ऑस्ट्रेलिया में यह संख्या क्रमशः 57, 119 और 11 है। वाहनों की संख्या में भारी वृद्धि के बावजूद सड़कों का विस्तार बहुत धीमा रहा है, जिसके कारण हादसों में इजाफा हुआ है। शराब पीकर तेज़ गति से गाड़ी चलाने जैसे कारण भी दुर्घटनाओं को बढ़ाते हैं। इन्हें रोकने के लिए लोगों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और सरकार को सड़कों पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
विकास के लिए खतरा
चुनावी रेवड़ियों की बढ़ती प्रथा को ‘मुफ्त का माल मोरी में’ कहा जा सकता है, क्योंकि यह चोरी की तरह बिना मेहनत के लाभ देती है। रेवड़ी के बदले लोग सिर्फ वोट देते हैं, जिससे सियासी दल लाभ उठाते हैं। रेवड़ी पर निर्भर लोग आलसी और बेरोजगार हो रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सही कहा कि रेवड़ी बांटने से देश की तरक्की बाधित होती है, लेकिन सत्ताधारी दल इसका पालन नहीं कर रहे हैं। यदि रेवड़ियों में कटौती नहीं की गई, तो लोग इसे अधिकार मानकर चुनाव आयोग और शासन की उपेक्षा करेंगे।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन
विश्व शांति जरूरी
संघर्षरत दुनिया में शांति की पहल अब अत्यंत आवश्यक हो गई है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप से रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की उम्मीदें हैं, क्योंकि उन्होंने चुनावों के दौरान इसे एक दिन में रोकने का वादा किया था। यदि वे इसमें सफल होते हैं, तो न केवल निर्दोष लोगों की मौतें रुकेंगी, बल्कि पर्यावरण पर पड़ रहे विनाशकारी प्रभाव भी कम होंगे। ट्रंप की जीत और पुतिन की बधाई इस बात का संकेत है कि रूस अमेरिका की वैश्विक स्थिति को स्वीकार करता है। इस समय भारत को भी युद्धों को रोकने के लिए अपने प्रयास तेज करने चाहिए, ताकि विश्व में शांति स्थापित हो सके।
अमृतलाल मारू, इंदौर म.प्र.