ऑफिस में काम बनाम वर्क फ्रॉम होम
जन संसद की राय है कि घर और कार्यालय में काम का संतुलन आवश्यक है, क्योंकि दोनों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं। कुछ लोग वर्क फ्रॉम होम को सुविधाजनक मानते हैं, जबकि ऑफिस का अनुशासन शारीरिक-मानसिक सेहत के लिए बेहतर होता है।
अनुशासन जरूरी
व्यक्ति के जीवन में अनुशासन महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह उसकी दिनचर्या को व्यवस्थित करता है। ऑफिस जाने के लिए समय पर उठना और काम को व्यवस्थित तरीके से करना, सहकर्मियों के साथ अच्छा व्यवहार बनाना और समस्याओं का शीघ्र समाधान करना अनुशासन का हिस्सा है। वहीं, वर्क फ्रॉम होम में आलस्य और समय की अनियमितता उत्पन्न हो सकती है, जैसे नहाने, शेव करने और अच्छे वस्त्र पहनने में लापरवाही। इसलिए, अनुशासन बनाए रखना और दैनिक कार्यों को नियमानुसार करना जीवन को संतुलित और व्यवस्थित बनाए रखता है।
अशोक कुमार वर्मा, कुरुक्षेत्र
कार्यस्थल का लाभ
कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम की शुरुआत हुई, जिससे कंपनियों को फायदा हुआ। हालांकि, कार्यालय में काम करना ज्यादा फायदेमंद है। कार्यालय जाने से जीवन में अनुशासन बना रहता है, टीम के साथ काम करने से मानसिक बोझ हल्का होता है और परिणाम बेहतर होते हैं। घर की चिंता और अनावश्यक हस्तक्षेप से मुक्ति मिलती है, जिससे कर्मचारी अधिक एकाग्र और प्रेरित रहते हैं। इसके अलावा, कार्यालय का माहौल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है, और आने-जाने से ताजगी बनी रहती है।
शामलाल कौशल, रोहतक
स्वास्थ्य हेतु बेहतर
कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम की शुरुआत हुई थी, जो उस समय जरूरी थी, ताकि हम सुरक्षित रह सकें और काम भी न रुके। हालांकि, अब यह आदत बन गई है, लेकिन वर्क फ्रॉम होम को पूरी तरह सही नहीं कहा जा सकता। ऑफिस में काम करने से शारीरिक और मानसिक गतिविधियां तेज होती हैं। जैसे समय पर कार्य करना, नहाना और सहकर्मियों के साथ बातचीत करना। ये सभी स्वस्थ जीवनशैली के लिए जरूरी हैं और गंभीर बीमारियों से बचाते हैं।
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, रेवाड़ी
सेहतकारी दिनचर्या
निश्चित रूप से ऑफिस में जाकर काम करना वर्क फ्रॉम होम से कहीं बेहतर है। ऑफिस में जाकर व्यक्ति अपने अन्य साथियों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करता है, जिससे उसके मानसिक स्वास्थ्य में वृद्धि होती है और अनुशासन भी सीखता है। वहीं, वर्क फ्रॉम होम व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। पूरा दिन घर पर ही रहने के कारण व्यक्ति की दिनचर्या पर भी कुप्रभाव पड़ता है। वर्क फ्रॉम होम मानसिक तनाव को बढ़ाता है, जबकि ऑफिस में काम करने से व्यक्ति मानसिक और शारीरिक तौर पर स्वस्थ रहता है।
सतीश शर्मा, माजरा, कैथल
चुनौतियां और फायदे
वर्क फ्रॉम होम से ट्रैफिक के दबाव में कमी आ सकती है और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कंपनियों का बिजली, पानी और अन्य खर्चे भी घट सकते हैं। हालांकि, यह व्यवस्था सभी के लिए लाभकारी नहीं है, खासकर कामचोरों के लिए, जो दफ्तरों में बैठकर काम नहीं करते। इसके अलावा, किराए के मकानों में रहने वाले लोग या एक कमरे में कई लोग रहने वाले कर्मचारी घर से काम करने में कठिनाई महसूस करेंगे। महिलाओं और लड़कियों के लिए भी घर के कामों में अधिक समय लगने की संभावना है, जिससे दफ्तर का काम प्रभावित हो सकता है।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
पुरस्कृत पत्र
प्राथमिकताओं का संघर्ष
हर स्थान का अपना विशेष माहौल होता है, जैसे विद्यालय में शिक्षा, ऑफिस में काम, पूजा स्थल पर श्रद्धा, और घर में गृहस्थी का माहौल। वर्क फ्रॉम होम में कार्यालय जैसा बुनियादी ढांचा, टीम, और तकनीकी सहायता नहीं मिलती, जिससे काम की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं। घर का माहौल ऑफिस के काम में बाधा डालता है, और ऑफिस का माहौल घर के कामों पर असर डालता है। इस स्थिति में न तो कर्मचारी ऑफिस को पूरी तरह से ध्यान दे पाता है, न ही घर के कार्यों को।
बृजेश माथुर, गाजियाबाद, उ.प्र.