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मोदी-ट्रंप सहयोग
संपादकीय ‘एक बार फिर ट्रंप’ में उल्लेख किया गया है कि मोदी और ट्रंप दोनों को एक साथ काम करने का अनुभव है, जिसका लाभ दोनों देशों को मिलेगा, क्योंकि मोदी और ट्रंप दोनों पाकिस्तान-जनित आतंकवाद के खिलाफ हैं। इस कारण, पाकिस्तान का समर्थन करने वाले देशों के साथ अमेरिका का संबंध मजबूत नहीं रहेगा। ट्रंप ने यह महत्वपूर्ण घोषणा की है कि वह यूक्रेन के युद्ध को समाप्त करेंगे और सैनिक बजट में भी वृद्धि करेंगे, जिससे स्पष्ट होता है कि यूक्रेन को अमेरिका की बात माननी पड़ेगी। कनाडा और भारत के बीच मतभेदों को सुलझाने में भी ट्रंप का सहयोग भारत को मिल सकता है। अंततः कहा जा सकता है कि दोस्ती भले ही गहरी न हो, लेकिन अब दुश्मनी भी नहीं होगी।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन
मारक महंगाई
आजकल आसमान छूती महंगाई के कारण गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए जीविका चलाना बहुत कठिन हो गया है। इन वर्गों के पास आय के साधन सीमित होते हैं, जबकि महंगाई आय सीमा से बहुत ऊपर जा रही है। बाज़ारवाद और उपभोक्तावाद ने हर व्यक्ति के जीवन को प्रभावित किया है। किरयाना और सब्जियों की कीमतों में वृद्धि ने गृहणियों के लिए रसोई चलाना मुश्किल कर दिया है। कृषि लागत प्रतिवर्ष बढ़ रही है, लेकिन सरकार इस महंगाई पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही।
सुरेन्द्र सिंह ‘बागी’, महम
रेवड़ी संस्कृति का प्रभाव
पिछले कुछ सालों से भारत में चुनावों के दौरान रेवड़ी संस्कृति का प्रचलन बढ़ गया है, जहां राजनेता मतदाताओं को मुफ्त सुविधाएं और राशन देने का वादा करते हैं। यह मुफ्तखोरी देश की आर्थिक स्थिति के लिए हानिकारक साबित हो सकती है, क्योंकि इससे लोग कामकाजी जीवन से दूर हो सकते हैं और खेतीबाड़ी या अन्य कामकाजी गतिविधियों को छोड़ सकते हैं। हालांकि, रेवड़ी संस्कृति को पूरी तरह से समाप्त करना गरीबों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। इसके बजाय, इस संस्कृति में सुधार की आवश्यकता है, ताकि यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए सहायक बने।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
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