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आपकी राय

07:12 AM Nov 07, 2024 IST
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तनाव के रिश्ते

पांच नवंबर के दैनिक ट्रिब्यून के संपादकीय में कनाडा और भारत के बीच बिगड़ते रिश्तों का वर्णन किया गया है। कनाडा में कुछ खालिस्तानी अलगाववादी तत्वों ने ब्रैम्पटन स्थित हिंदू सभा के मंदिर में हिंसा की, जबकि कनाडा सरकार और पुलिस मूकदर्शक बनी रही। हिंदू समुदाय पर पुलिस ने कार्रवाई की, लेकिन अलगाववादी तत्वों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ। ट्रूडो सरकार ने इसे अस्वीकार्य बताया, लेकिन इसके बावजूद तनाव बढ़ सकता है। भारत और कनाडा के रिश्तों का यह सबसे बुरा दौर है, जिसे संवाद के माध्यम से हल किया जा सकता है।
शामलाल कौशल, रोहतक

नशे के खिलाफ

नशे के कारोबार ने आजकल समाज में युवाओं को गंभीर संकट में डाल दिया है। कठोर कानूनों के बावजूद, यह धंधा छुपे तरीके से चल रहा है, विशेषकर बॉर्डर से सटे प्रदेशों में। ड्रग्स की तस्करी के लिए नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं, और कई बार पकड़ी गई मात्रा की तुलना में ज्यादा मात्रा तक पहुंचती है। प्रांतीय नारकोटिक्स विभाग का प्रयास सराहनीय है, लेकिन इसे अकेले नहीं किया जा सकता। हर परिवार और समाज को भी सक्रिय भूमिका निभानी होगी। किशोरों और युवाओं को नशे के खतरों के बारे में जागरूक करना जरूरी है।
विभूति बुपक्या, खाचरोद, म.प्र.

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सार्थक बयान

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। उन्होंने पार्टी नेताओं से वादे वही करने की अपील की है, जो बजट अनुरूप और पूरे किए जा सकें। उनका यह बयान राष्ट्रीय हित में है और सभी राजनीतिक दलों को रेवड़ी संस्कृति को खत्म करने की दिशा में काम करना चाहिए। खड़गे का बयान वास्तविकता से परे नहीं है। मुफ्त योजनाओं के कारण राज्य की प्रगति रुकती है और इंफ्रास्ट्रक्चर पर नकारात्मक असर पड़ता है।
वीरेन्द्र कुमार जाटव, दिल्ली

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