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रेलवे सुरक्षा और सुविधा
पिछले कुछ हादसों के बाद रेलवे प्रशासन सुदृढ़ व्यवस्था और रखरखाव पर ध्यान दे रहा है। पिछले समय बेपटरी हुई रेलों के कारणों में मानवीय भूल, रखरखाव की कमी और असामाजिक तत्वों का हस्तक्षेप शामिल था। रेलवे को पटरियों, बोगियों और सिग्नल व्यवस्था का उचित रखरखाव करना चाहिए। अगर तकनीकी स्टाफ की कमी है, तो उसे पूरा किया जाए। सुरक्षाकर्मियों को सक्रिय रखना और नई ट्रेनों के साथ पुरानी पटरियों का सुधार भी आवश्यक है। यात्रियों की सुरक्षित यात्रा सबसे महत्वपूर्ण है। रेल मंत्रालय को संसाधनों में कमी न रखनी चाहिए और आधुनिक सुरक्षा प्रणाली का उचित मार्गदर्शन देना चाहिए।
शकुंतला महेश, नेनावा, इंदौर, म.प्र.
महका लोकतंत्र
सत्रह अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून के संपादकीय ‘घाटी में महका लोकतंत्र’ के मुताबिक, दस साल बाद उमर अब्दुल्ला ने केंद्रशासित प्रदेश में मुख्यमंत्री की कमान संभाली है। प्रदेश के लोगों ने इन चुनावों में भारी मतदान करके दिखा दिया कि वे शांति, विकास चाहते हैं। उमर अब्दुल्ला की सरकार में पांच मंत्रियों ने जो शपथ ली है उनमें से दो सदस्य जम्मू तथा तीन कश्मीर के हैं जो कि दोनों भागों में सत्ता की भागीदारी को लेकर संतुलन बनाए रखने की बात कहता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि प्रशासनिक तथा विकास के मामलों को लेकर केंद्र सरकार का राज्य सरकार को भरपूर सहयोग मिलता रहेगा।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
एक साथ चुनाव का तर्क
निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र व झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है । पिछले कुछ सालों से देश में ‘एक देश एक चुनाव' की हवा चल रही है। लेकिन जब महज़ 81 सीटों के लिए एक चरण में चुनाव कराना संभव नहीं है तो एक साथ लोकसभा/विधानसभा के चुनाव कराना कितना टेढ़ी खीर साबित होगा? कहीं एक साथ चुनाव कराना महज़ ज्वलंत बुनियादी मुद्दों को हाशिए में धकेलने के लिए शिगूफा तो नहीं है?
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन