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05:28 AM Oct 11, 2024 IST

आत्ममंथन करे कांग्रेस
अपनी हार के लिए जिम्मेदार कारणों की गहराई और ईमानदारी से पड़ताल करने के बजाय कांग्रेसी नेताओं ने ईवीएम मशीन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करना बेहतर समझा। निरीह मशीन और विजयी प्रतिद्वंद्वी में छिद्रान्वेषण बहुत आसान होता है। जरूरत अपने अंदर झांकने की है। कांग्रेसी कारकून पार्टी की हार के कारणों को संजीदा होकर ढूंढ़ते तो उन्हें यकीनन अति आत्मविश्वास, हुड्डा ख़ेमे पर पार्टी नेतृत्व का एकतरफा भरोसा और लंबे समय से लंबित चले आ रहे संगठन चुनाव अवश्य दिखते। यही नहीं, कुमारी सैलजा और प्रकारांतर से एससी समुदाय की अनदेखी भी जरूर दिखाई देती।
ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल

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इस जीत के मायने
नौ अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय 'भाजपा की हैट्रिक' हरियाणा में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा तीसरी बार बेहतर प्रदर्शन करते हुए सत्ता पर कब्जा करने का विश्लेषण करने वाला था। बेशक लगभग सभी एग्जिट पोल भाजपा के मुकाबले कांग्रेस को बहुमत दिखा रहे थे, लेकिन भाजपा 48 सदस्यों के बलबूते सरकार बनाने को तैयार है। कांग्रेस 37 पर ही सिमट गई। ओबीसी तथा जाट वोट भाजपा तथा कांग्रेस में बंट गए। टिकटों के बंटवारे ठीक से न होने तथा मुख्यमंत्री के पद को लेकर सैलजा, सुरजेवाला तथा हुड्डा की सार्वजनिक दावेदारी भी कांग्रेस के लिये नुकसानदायक रही।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

सर्वधर्म समभाव का प्रतीक
विख्यात उद्योगपति रतन नवल टाटा की अंतिम विदाई से पहले देश के सभी धर्मगुरुओं ने सर्वधर्म प्रार्थना की। यह सर्वधर्म समभाव वाली प्रार्थना इस गमगीन माहौल में सुखद अहसास था। काश! सभी धर्म के लोग निःस्वार्थ भाव से एक-दूसरे के सुख-दुख में कंधे से कंधा मिलाकर चलें व एक-दूसरे के काम आएं तो कितना सुखद माहौल बन सकता है। रतन टाटा ने अपने अंतिम समय में भी सभी धर्मों को जोड़ दिया। यह असाधारण व्यक्तित्व के धनी अनमोल रतन का करिश्मा ही है।
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन

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