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खजाने पर बोझ
तीस सितंबर को दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित नरेश कौशल का लेख ‘एक जवाबदेह चुनावी घोषणा पत्र की दरकार’ राजनीतिक पार्टियों की जनता के प्रति जवाबदेही पर जोर देता है। लेखक की चिंताएं बिल्कुल सही हैं—आजकल रेवड़ी बांटने की प्रथा बढ़ती जा रही है, जिसे कानूनी तौर पर रोकने की जरूरत है। यदि राजनीतिक पार्टियों को जनता को सुविधाएं देनी हैं, तो उन्हें अपने फंड से यह करना चाहिए, न कि सरकारी खजाने से। लोक लुभावने वादे चुनाव जीतने में सहायक हो सकते हैं, लेकिन इससे सरकारी बजट पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इस पर कोई विचार नहीं कर रहा।
भगवानदास छारिया, इंदौर, म.प्र.
शानदार प्रदर्शन
कानपुर टेस्ट के पांचवें दिन टीम इंडिया ने बांग्लादेश को 7 विकेट से हराकर टेस्ट सीरीज 2-0 से अपने नाम की। यह जीत टीम इंडिया के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण थी, क्योंकि उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ कभी न हारने का रिकॉर्ड कायम रखा है। यह उनकी 18वीं शृंखला में रोमांचक जीत है। इस शानदार प्रदर्शन के बाद, भारत आईसीसी विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप (डब्ल्यूटीसी) की तालिका में शीर्ष पर पहुंच गया है। यशस्वी जायसवाल ने 51 रन बनाकर ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ का खिताब जीता।
युगल किशोर शर्मा, फरीदाबाद
सम्मान के हकदार
मिथुन चक्रवर्ती ‘डिस्को डांसर’ से लोकप्रिय हुए 74 वर्षीय को फिल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के प्रदान करने की घोषणा हुई है। यह सम्मान एक ऐसे इंसान को मिल रहा है जिसने संघर्षों का सामना किया और सफलता के शीर्ष पर पहुंचकर लोगों के दिलों में राज किया। उन्होंने 1976 में मृणाल सेन की फिल्म ‘मृगया’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। मिथुन चक्रवर्ती की ‘डिस्को डांसर’ ने रूस, चीन, भारत और कई देशों में धूम मचाई थी।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली