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एक देश, एक चुनाव
देश में फिजूलखर्ची रोकने के लिए ‘एक देश, एक चुनाव’ प्रणाली महत्वपूर्ण है। चुनावों पर भारी खर्च केवल सरकारी खर्च नहीं, बल्कि नेताओं द्वारा अपनाए जाने वाले गलत तरीकों से भी बढ़ता है। इस बदलाव के लागू होने से अनिश्चितता कम होगी, नीतिगत निर्णयों पर सकारात्मक असर पड़ेगा, और मतदाताओं की उदासीनता दूर होगी। आर्थिक वृद्धि और स्थिरता में भी सुधार होगा, जबकि प्रवासी श्रमिकों को बार-बार कार्यस्थल छोड़ने की समस्या का समाधान मिलेगा। सही तरीके से लागू होने पर, यह प्रणाली लोकतंत्र और क्षेत्रीय दलों के हितों को भी प्रभावित किए बिना देश की सेहत सुधारने में मदद करेगी।
अमृतलाल मारू, इंदौर, म.प्र.
कोविड से मुक्ति की उम्मीद
चौबीस सितंबर के दैनिक ट्रिब्यून में मुकुल व्यास का लेख ‘कोविड की समग्र वैक्सीन की तलाश में वैज्ञानिक’ पढ़ा। नि:संदेह, कोविड-19 ने पिछले चार-पांच वर्षों में भारी जनहानि की। वैज्ञानिकों ने इससे निपटने के लिए कारगर वैक्सीन विकसित की। हालांकि, वायरस पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ और समय-समय पर अपना रूप बदलता रहा है। इस संदर्भ में, वैज्ञानिकों को एक ऐसी वैक्सीन की आवश्यकता है जो सभी वेरिएंट्स को प्रभावी ढंग से नष्ट कर सके। यदि शोधकर्ता सफल होते हैं, तो दुनिया कोविड-19 से निजात पा सकेगी।
शामलाल कौशल, रोहतक
बाल अस्मिता की रक्षा
चौबीस सितंबर के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘बाल अस्मिता की रक्षा’ सुप्रीम कोर्ट द्वारा मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए बच्चों की अस्मिता को सुरक्षित, फैसले का वर्णन करने वाला था। अब यौन शोषण से संबंधित किसी भी पोस्ट को डाउनलोड कर देखना अपराध माना जाएगा। यौन शोषण को लेकर स्टोर किए हुए कंटेंट बच्चों को पथभ्रष्ट करते हैं। इंटरनेट के दुष्परिणामों से युवा मन को बचाने के लिए माता-पिता शिक्षकवर्ग को अहम भूमिका निभानी चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल