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08:48 AM Sep 25, 2024 IST

बच्चों को समझाएं

सरकार के चाइल्ड पोर्नोग्राफी को देखने और डाउनलोड करने को अपराध की श्रेणी में लाने के फैसले से बाल यौन उत्पीड़न में कमी आने की संभावना है। आये दिन बच्चों को पोर्न सामग्री के लिए इस्तेमाल करना और उनका यौन शोषण करना, उनके दिलो-दिमाग को झिंझोड़ कर रख देता है। न केवल वयस्क बल्कि किशोर भी चाइल्ड पोर्न सामग्री देखने की लत से अछूते नहीं हैं। किशोरावस्था में पोर्न सामग्री देखना उनके शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास में बाधक हो सकता है। स्कूलों में बच्चों को यौन उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता, इससे बचने के तरीकों और आवाज उठाने के बारे में समझाना भी जरूरी है।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली

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यौन हिंसा के विरुद्ध जागरूकता

कोलकाता के एक मेडिकल कॉलेज में महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या ने यौन शोषण के खिलाफ आवश्यक कदम उठाने को बाध्य किया है। इस घटना पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कड़ी आलोचना हुई। बलात्कार और यौन शोषण की घटनाएं विकृत मानसिकता का परिणाम हैं। यौन हिंसा के खिलाफ पारिवारिक, सामाजिक और शैक्षिक स्तर पर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। फास्ट ट्रैक अदालतें स्थापित की जानी चाहिए, ताकि यौन अपराधियों को सख्त सजा देकर समाज में अपराधियों के खिलाफ खौफ पैदा किया जा सके।
शामलाल कौशल, रोहतक

जल्दी सज़ा मिले

कोलकाता में प्रशिक्षु डॉक्टर का यौन शोषण और हत्या पिछले एक महीने से चर्चा में है, लेकिन अपराधियों को सजा कब मिलेगी? इस तरह के अपराध को रोकने के लिए पुरुषों में जागरूकता बढ़ानी होगी। महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें अधिकारों के प्रति जागरूक करना चाहिए। इसके लिए कानून और न्याय व्यवस्था को मजबूत करना आवश्यक है ताकि दोषियों को जल्द सजा मिले। इसके साथ ही, पुलिस के राजनीतिकरण पर रोक लगानी चाहिए।
खुशपाल सिंह पतवान, अम्बाला शहर

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