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लोकतंत्र की बयार
इक्कीस सितंबर के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति’ में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के पहले चरण में 60 प्रतिशत मतदान को लोकतंत्र की जीत बताया गया है। यह उन लोगों के लिए एक करारा जवाब है जो छिटपुट आतंकवादी घटनाओं और अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद चुनावों को लेकर असहज थे। हालांकि कुछ राजनीतिक दलों और आतंकवादियों ने चुनाव में गतिरोध उत्पन्न करने की कोशिश की, लेकिन मतदाताओं की भारी संख्या ने लोकतंत्र के प्रति उत्साह दिखाया। उम्मीद करें कि नई सरकार अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों के हित में भी कार्य करेगी।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
संबंधों की मजबूती
प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान जो बाइडेन द्वारा किया गया स्वागत भारत-अमेरिका संबंधों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मोदी जी की प्रत्येक यात्रा से राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त होती हैं, जैसे कि इस बार का क्वाड सम्मेलन, जो भारत की सशक्त भूमिका से सफल सिद्ध हुआ। यह सम्मेलन इस बात का प्रमाण है कि क्वाड किसी भी देश के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह चार देशों के बीच निष्पक्षता और सहयोग का प्रतीक है। अमेरिका के आगामी राष्ट्रपति चुनावों में चाहे कोई भी विजयी हो, भारत के साथ रिश्ते और बेहतर होंगे।
विभूति बुपक्या, खाचरोद, म.प्र.
दलित राजनीति की चुनौती
बदलते घटनाक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री और हिसार की सांसद कुमारी सैलजा हरियाणा की राजनीति के केंद्र में आ गई हैं। खबरें हैं कि कुमारी सैलजा नाराज हैं और कांग्रेस के चुनावी प्रचार से अलग हो गई हैं। हरियाणा में कांग्रेस की गुटबाजी जगजाहिर है, जिसके चलते दलित चेहरा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। हरियाणा का दलित समाज कुमारी सैलजा के प्रति अपमानजनक टिप्पणियों और क्षेत्रीय नेतृत्व की अलग-थलग करने की कोशिशों से नाराज है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली