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राहुल के दावों पर सवाल
राहुल गांधी के अमेरिका दौरे पर दिए विचारों से सहमत नहीं हुआ जा सकता। उनके विचार विदेश में भारत की गलत छवि पेश करते हैं और उनके वैचारिक उथलेपन को दर्शाते हैं। उन्होंने भारत को राज्यों के संघ के रूप में प्रस्तुत किया, जिसमें विविधता का सम्मान नहीं है। जबकि वास्तविकता यह है कि विविधता में ही भारत की शक्ति और एकता है। भारतीय संस्कृति की नींव सहिष्णुता और सामंजस्य पर है, और देश में सभी धर्मों को स्वतंत्रता मिली हुई है। हिंदी थोपने की उनकी टिप्पणी पूरी तरह से गलत और शरारतपूर्ण है। पिछला चुनाव विपक्ष के ताकतवर होने का प्रमाण है, और उसे नियंत्रित बताना बचकानापन है।
विमलेश पगारिया, बदनावर, म.प्र.
घात व बात नहीं चलेगी
गृहमंत्री की इस बात से सहमत हुआ जा सकता है कि जब तक कश्मीर घाटी में स्थायी शांति स्थापित नहीं हो जाती, पाकिस्तान से बातचीत नहीं करनी चाहिए। पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए मुख्य जिम्मेदार है और आतंकियों को प्रशिक्षित कर अशांति फैलाना उसकी रणनीति का हिस्सा है। वर्तमान में पाकिस्तान बातचीत और व्यापार के लिए उतावला हो सकता है, लेकिन हमें इन प्रस्तावों पर विचार नहीं करना चाहिए।
मनमोहन राजावतराज, शाजापुर
रेल सुरक्षा की चुनौती
यह सरकार और खुफिया एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती है कि ट्रेनों को नुकसान पहुंचाने वाले शरारती तत्वों को कैसे रोका जाए। हाल ही में, उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में ट्रेन की पटरी पर पेड़ का तना और महाराष्ट्र के सोलापुर में रेल लाइन पर बड़ा पत्थर रखकर ट्रेनों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई। रेल मंत्रालय को शरारती तत्वों की नापाक हरकतों को रोकने के लिए तुरंत सख्त कदम उठाने चाहिए और रेल सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर