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अपराध की जड़
पश्चिम बंगाल में ‘अपराजिता’ विधेयक सर्वसम्मति से पारित किया गया है, जिसे मेडिकल छात्रा के रेप और मर्डर के बाद तत्कालीन आक्रोश को देखते हुए ममता सरकार ने तेजी से लागू किया। हालांकि, देश में पहले से ही रेप के लिए मृत्युदंड का कानून मौजूद है, लेकिन फिर भी घटनाओं में कमी नहीं आई है। इसका मतलब यह है कि कानून की अनुपस्थिति नहीं, बल्कि प्रशासनिक कमजोरी और काहिली समस्या हैं। नए कानून से प्रभावी सुधार तभी संभव होगा जब लागू करने वाली मशीनरी को सुधार कर सत्ताधीशों और बाहुबलियों के प्रभाव से मुक्त किया जाए।
सुभाष बुड़ावन वाला, रतलाम, म.प्र.
जानलेवा प्रदूषण
सात सितंबर के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘घुटती सांसें’ हरियाणा के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल होने पर चिंता जताता है। दिल्ली के आसपास स्थित फरीदाबाद, जो सबसे प्रदूषित है, मुख्यतः औद्योगिकीकरण, डीजल व पेट्रोल वाहनों और निर्माण कार्यों के कारण प्रदूषित है। प्रदूषण से औसत आयु में कमी आ सकती है, और यह बच्चों, बुजुर्गों तथा सांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों को खासतौर पर प्रभावित करता है। सर्दियों में पराली और पटाखे प्रदूषण को बढ़ाते हैं। सरकार को इस समस्या के समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए और नागरिकों को प्रदूषण कम करने की दिशा में जागरूक करना चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक
जीवन अनमोल
दस सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य आत्महत्या की समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। आत्महत्या के बढ़ते मामलों को लेकर डब्ल्यूएचओ और इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन ने 2003 में एक संदेश दिया था कि आत्महत्याओं को रोका जा सकता है। आत्महत्या केवल व्यक्ति की ही नहीं, बल्कि उसके परिवार और प्रियजनों की जिंदगी को भी प्रभावित करती है। जीवन की अनमोलता को समझते हुए आत्महत्या की ओर न बढ़ें।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर