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प्रदूषण पर नकेल
इकतीस अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून के संपादकीय ‘प्रदूषण से जंग’ में प्रदूषण के खिलाफ निरंतर संघर्ष की आवश्यकता पर बल दिया गया है। 2022 में वायु प्रदूषण में 19.3 प्रतिशत की कमी आई है, जिससे जीवन की आशा 51 दिन बढ़ी है। फिर भी, भारत में प्रदूषण डब्ल्यूएचओ मानकों से बहुत अधिक है, और दिल्ली को दुनिया की सबसे अधिक प्रदूषण वाली राजधानी माना गया है। सर्दियों में पराली जलाने और बढ़ती वाहन संख्या से प्रदूषण की स्थिति और बिगड़ जाती है। प्रदूषण से निपटने के लिए सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, प्रदूषण-रोधी यंत्र लगाना, पेड़ लगाना, स्वच्छ ईंधन का उपयोग बढ़ाना, आतिशबाजी पर रोक लगाना, और उद्योगों को शहरों से दूर ले जाना आवश्यक है।
शामलाल कौशल, रोहतक
राष्ट्रपति की चिंता
महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के प्रति देश की राष्ट्रपति ने जो दर्द व्यक्त किया है, वह सभी के लिए विचारणीय है। बंगाल की बेटी के प्रति हुए अपराधों ने राष्ट्रपति को गहरी निराशा और चिंता में डाल दिया है। यदि महिलाओं के खिलाफ अपराध इसी गति से बढ़ते रहे, तो यह आशंका जताई जा सकती है कि महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर घर से बाहर निकलने से भी कतराने लगेंगी। जब देश की प्रथम महिला भी महिला अपराधों के बढ़ते मामलों को लेकर चिंतित हैं, तो आम महिलाओं के मन में सुरक्षा को लेकर क्या स्थिति होगी।
मनमोहन राजावतराज, शाजापुर, म.प्र.
मध्यम वर्ग की उपेक्षा
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तैयारी के बीच, पार्टियां चुनाव घोषणापत्र में मुफ्त सुविधाओं का वादा करने लगी हैं, जबकि राज्यों की वित्तीय स्थिति चिंताजनक है। कर्ज में डूबे राज्य नए कर्ज लेकर मुफ्त की रेवड़ियां बांट रहे हैं, और बजट का एक बड़ा हिस्सा ब्याज चुकाने में जा रहा है। गरीबों को मुफ्त में लाभ मिल रहा है, लेकिन मध्यम वर्ग, जो टैक्स चुकाता है और मेहनत करता है, की उपेक्षा हो रही है। सरकारों का इस स्थिति पर कोई नियंत्रण नहीं है, और रिजर्व बैंक भी कर्ज देने में ढील दे रहा है।
सुभाष बुडावनवाला, रतलाम, म.प्र.