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तस्वीर बदलनी चाहिए
इक्कीस अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून में क्षमा शर्मा का लेख ‘कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा’ इस मुद्दे पर चर्चा करता है। कोलकाता में एक जूनियर डॉक्टर के अस्पताल में गैंग रेप के बाद हत्या और महिलाओं के यौन शोषण पर लेखिका ने समाज से उनकी सुरक्षा की गुहार लगाई है। दिल्ली निर्भया कांड के बावजूद, कड़े कानूनों और मृत्युदंड के सुझाव के बावजूद, महिलाओं का यौन शोषण जारी हैं। कोलकाता हत्याकांड के संदर्भ में कॉलेज के प्रिंसिपल की गिरफ्तारी से मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने महिला डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए टास्क फोर्स बनाने के निर्देश दिए हैं, जो काबिले गौर है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
क्रियान्वयन में चूक
तेईस अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘महिला सुरक्षा का प्रश्न’ चिंतनीय है। देश की वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति के बावजूद, महिला सुरक्षा के मामले में गंभीर समस्याएं हैं। कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर का गैंगरेप, तमिलनाडु में छात्राओं के साथ यौन शोषण और महाराष्ट्र में स्कूली बच्चियों के साथ यौन दुर्व्यवहार सभ्य समाज के मुंह पर करारा तमाचा है। सख्त कानूनों के बावजूद उनकी प्रभावी क्रियान्वयन में कमी से अपराध बढ़ रहे हैं। अपराधों की रोकथाम के लिए ‘जैसे को तैसा’ नीति लागू करनी होगी।
अमृतलाल मारू, इंदौर, एमपी
यूक्रेन यात्रा की महत्ता
प्रधानमंत्री मोदी की पोलैंड और यूक्रेन यात्रा पर विश्व की नजरें टिकी हैं, क्योंकि भारत युद्धरत देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए हुए है, बिना किसी बड़े राष्ट्र के दबाव के। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं युद्ध विराम में विफल रही हैं। इस कठिन समय में भारत जैसे निष्पक्ष मध्यस्थ की आवश्यकता है जो न्यूनतम सहमति पर युद्ध रोकने में सहायक हो। रूस-यूक्रेन और इस्राइल-हमास के युद्ध अब ईरान तक फैल चुके हैं, चीन छोटे देशों पर दबाव बना रहा है। ऐसे में मोदी की यात्रा अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विभूति बुपक्या, खाचरोद, म.प्र.