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बांग्लादेश में अराजकता
छह अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘हसीना का निष्कासन’ बांग्लादेश की प्रधानमंत्री, शेख हसीना का देश छोड़ कर भारत आने का वर्णन करने वाला था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि शेख हसीना के चले जाने के बाद भी बांग्लादेश में हिंसा और आगजनी जारी हैं, हिंदुओं के घरों तथा मंदिरों को जलाया जा रहा है। वहां के राष्ट्रपति ने संसद भंग कर दी है, अंतरिम सरकार की घोषणा की है, पूर्व प्रधानमंत्री, खालिदा जिया तथा अन्य विपक्षी नेताओं को जेल से रिहा करने के आदेश दिए हैं। भारत सरकार बांग्लादेश के हालात पर कड़ी नजर रख रही है। बांग्लादेश के वर्तमान हालात के लिए अमेरिका, चीन तथा पाकिस्तान को दोषी ठहराया जा रहा है।
शामलाल कौशल, रोहतक
लापरवाही और भ्रष्टाचार
दिल्ली में एक कोचिंग संस्थान में हुई त्रासदी केवल एक दुर्घटना नहीं है, बल्कि एक संगठित लापरवाही और भ्रष्टाचार का परिणाम है। एक घटना ने प्रशासन और नगर-निगम की व्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि हमारी नागरिक संरचनाओं में कितनी गहरी समस्याएं मौजूद हैं। मूल समस्या प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की है। जब तक इन समस्याओं को जड़ से नहीं उखाड़ जाएगा, तब तक इस प्रकार की घटनाएं होती रहेंगी।
अंकित सोनी, धार, म.प्र.
जानलेवा मांझा
पतंगबाजी में चीनी और सिंथेटिक मांझे का प्रयोग करके युवा अक्सर खतरनाक स्थितियां पैदा करते हैं। बावजूद इसके देश की राजधानी में चाइनीज मांझा बिकता है। ऐसा नहीं है कि दिल्ली सरकार, पुलिस या संबंधित विभाग इस पर कार्रवाई नहीं करते हैं लेकिन इसका प्रयोग करने वाले और इसको बेचने वाले, खरीदने और स्टोर करने वाले अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं। हम इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने में कब कामयाब होंगे?
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली