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अन्नदाता से अन्याय
तीन अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून में देविंदर शर्मा का लेख पढ़ा, जिसमें ‘बढ़ी आमदनी लाएगी किसानों के लिए खुशहाली’ जब राष्ट्रीय कृषक आय एवं भलाई आयोग बन जायेगा। आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन ने संसार की मुख्य 54 अर्थ व्यवस्थाओं द्वारा किसान को सब्सिडी के रूप में दी जाने वाली सहायता का अध्ययन करने के बाद जो नवीनतम वैश्विक विश्लेषण पेश किया है, उसके अनुसार भारत ही एकमात्र देश है जिसका किसान अपना घाटा पूरा करने के लिए यथेष्ट बजटीय प्रावधानों से महरूम है। रिपोर्ट बताती है कि भारतीय किसान सन 2000 से साल दर साल घाटा खा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में एक परिवार का मासिक औसतन व्यय महज 3268 रुपए है। अगर खेती से आय व्यावहारिक नहीं होगी तो जाहिर है ग्रामीण इलाकों में लोग खरीद करने में कम पैसे खर्चेंगे। इसलिए कृषि की स्थिति पर गंभीर होकर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़, रेवाड़ी
मानवता के जख्म
छह अगस्त, 1945 का वो काला दिन जब अमेरिकी वायुसेना ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराकर हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था, के जख्मों को अभी भी दुनिया नहीं भुला पाई है। अगर अब उनसे भी खतरनाक बमों को बनाया गया तो ये किसी एक देश के लिए नहीं, बल्कि सारी दुनिया का विनाश करने की पहल होगी। दुनिया को पाकिस्तान पर भी कड़ी नजर रखनी चाहिए। विज्ञान को अब जलवायु परिवर्तन, बढ़ते प्रदूषण और अन्य उन सभी बातों को ध्यान में रखकर काम करना होगा।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
सुरक्षित रास्ता निकाले
बांग्लादेश के इस्कॉन मंदिर और इकलौते हिंदू क्रिकेटर लिटन दास के घर में आग लगा दी गई है। सत्ता पलट के बाद अब भी बांग्लादेश में अराजकता जारी है। विशेष तौर से अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में भारत सरकार को हस्तक्षेप करके वहां से भारतीयों को सुरक्षित निकालना चाहिए।
सुभाष बुड़ावन वाला, रतलाम, म.प्र.
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