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रोजगार उन्मुख योजना
पांच अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून में ‘बदलती जरूरतों के हिसाब से प्रशिक्षित हों युवा’ लेख देश में बढ़ती हुई बेरोजगारी को लेकर रोजगार आधारित नीतियां बनाने के लिए सुझाव देने वाला था। बदले हुए हालात में जबकि डिजिटलीकरण, रोबोटिक्स प्रणाली, एआई आदि का प्रयोग बढ़ रहा है, इसके फलस्वरूप भविष्य में रोजगार में वृद्धि होने की संभावना कम नजर आ रही है। वर्तमान शिक्षा नीति रोजगार बढ़ाने में मदद नहीं करती। स्वदेशी और विदेशी निवेशकर्ताओं द्वारा स्वचालित विधियां अपनाने तथा चौदह घंटे तक वर्क फ्रॉम होम के तरीके से काम कराने के कारण रोजगार की संभावना कम होती जा रही है। सरकार को स्वास्थ्य तथा शिक्षा नीतियों में उचित परिवर्तन कर उन्हें रोजगार आधारित बनाना पड़ेगा। लघु-कुटीर उद्योगों का विकास तथा मुद्रा योजना द्वारा स्वरोजगार पर बल देना होगा।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
न्याय की राह
दैनिक ट्रिब्यून में छपी एक खबर ‘न्यायिक प्रक्रिया से लोग त्रस्त : सीजेआई’ चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा एक कार्यक्रम में बोलते समय वर्तमान न्यायिक प्रक्रिया के दोषों को बताते हुए विवाद निवारण के लिए लोक अदालतों को वैकल्पिक तंत्र के तौर पर सुझाव देने वाला था। अदालतों में न्याय प्राप्त करने के लिए समय और पैसा बहुत बर्बाद हो जाता है जबकि लोक अदालतों में पारस्परिक समझौते, सहमति और सौहार्द के कारण कहीं और अपील करने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि उन्हें लोक अदालत के आयोजन में बार और बेंच सहित सभी से समर्थन तथा सहयोग मिला। लेकिन इसके साथ-साथ न्यायिक व्यवस्था को सस्ता, त्वरित, निष्पक्ष बनाना चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक
जीत का जज्बा
पेरिस ओलम्पिक में दो कांस्य पदक जीतकर मनु भाकर ने सिद्ध कर दिया कि असफलता किसी को हतोत्साहित नहीं कर सकती है। यदि खिलाड़ी में लगन मेहनत, संकल्प, इच्छाशक्ति जैसे जज्बों का समावेश हो और जो महान ग्रंथ गीता के सूत्रों का अनुकरण करता हो, सफलता तय है। हरियाणा की इस लड़की ने यह बता दिया कि छोरियां छोरों से कम नहीं हैं।
भगवानदास छारिया, इंदौर
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