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बोतलबंद पानी के खतरे
हाल ही में बोतलबंद पानी को लेकर अमेरिका में हुए एक शोध से पता लगा है कि बोतलबंद पानी में प्लास्टिक के खतरनाक कण मिल रहे हैं। अमेरिकी संस्था नेचुरल रिसोर्सेज डिफेंस काउंसलिंग के अनुसार बोतल बनाने में एंटीमनी का उपयोग किया जाता है। इस वजह से बोतलबंद पानी को अधिक समय तक रखने पर उसमें एंटीमनी की मात्रा घुलती जाती है। इस रसायन युक्त पानी को पीने से कई तरह की बीमारियां होने लगती हैं। दुनियाभर में मिलने वाले बोतलबंद पानी में 93 फीसदी तक प्लास्टिक के महीन कण देखे गए हैं। इस तरह बोतलबंद पानी पीने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
अंकित सोनी, मनावर, म.प्र.
तंत्र की काहिली
देश की राजधानी दिल्ली के राजेंद्र नगर इलाके में कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में नाले का गंदा पानी अचानक आ जाने से दो छात्रों और एक छात्र की दर्दनाक मृत्यु ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। कुछ दिन पूर्व ही गाजीपुर के छात्र निलेश राय की मृत्यु जल भराव के कारण गेट पर करंट आने से हो गई थी। दुख का विषय है कि माता-पिता अपने बच्चों को अध्ययन के लिए दिल्ली के कोचिंग सेंटर भेजते हैं ताकि सिविल सर्विस ज्वॉइन कर सकें। लेकिन यहां पर सिविक एजेंसियों की अव्यवस्था का शिकार हो जाते हैं। इस पर देश की तमाम सरकारों को ध्यान देना होगा क्योंकि यह मामला केवल देश की राजधानी तक ही सीमित नहीं है।
वीरेन्द्र कुमार जाटव, दिल्ली
पुनर्विचार जरूरी
उनतीस जुलाई के दैनिक ट्रिब्यून के संपादकीय में कहा गया कि ‘अग्निपथ विवाद’ योजना की गहन समीक्षा सरकार को करनी चाहिए। ताकि देश में उपलब्ध जनशक्ति का ठीक प्रकार से उपयोग हो सके। सेवा मुक्त होने के पश्चात रंगरूटों के पथ से भटकाव की आशंकाएं बनी रह सकती हैं। सेना की पूर्व निर्धारित भर्ती प्रक्रिया के साथ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए बल्कि सेना की आधुनिकता पर बल देना चाहिए। साथ ही अग्निपथ योजना की विसंगतियों को दूर करने के प्रयास करने चाहिए। सेना को राजनीति से दूर रखना चाहिए।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़, रेवाड़ी
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