आपकी राय
हरियाणवी को संबल
पंद्रह जुलाई को दैनिक ट्रिब्यून के संपादकीय पृष्ठ पर संपादक नरेश कौशल द्वारा हरियाणा साहित्य और संस्कृति अकादमी के तत्वावधान में ‘हरियाणवी भाषा के विकास की संभावनाएं’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में दिए गए उद्बोधन के प्रकाशित अंश प्रशंसनीय थे। संपादक द्वारा सुझाई गई सभी बातें मानने योग्य हैं। हरियाणवी होना एक गर्व की बात होनी चाहिए। आजकल हरियाणवी युवा वर्ग अपनी मां बोली से विमुख हो रहा है, क्योंकि वह ऐसे ही स्कूलों से निकला है, जहां हरियाणवी बोलने को पसंद नहीं किया जाता। भारत-पाक विभाजन से पूर्व हरियाणा बोली को रांगड़ी बोली कहा जाता था। सीमा पार हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में हरियाणवी बोलने वाला एक बहुत बड़ा वर्ग है, जो अपनी इस भाषा पर फ़क्र करता है। संपादक का सुंदर अभिभाषण के लिए आभार।
सुरेन्द्र सिंह, महम
फैसले की तार्किकता
केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि हर वर्ष पच्चीस जून को संविधान हत्या दिवस मनाया जायेगा। विपक्ष ने संविधान को लेकर लोकसभा चुनावों में काफी झूठ फैलाया है कि संविधान भाजपा सरकार खत्म कर देगी। विपक्ष के नेता अपने हाथों में संविधान की प्रति लेकर चल रहे हैं और आपातकाल को सही बताने में लगे हैं। लेकिन पूरा देश जानता है कि उस समय संविधान को दरकिनार करते हुए कांग्रेस ने आपातकाल लगाया था। उसके बुरे परिणाम भी देश ने देखे हैं। इसीलिए आपातकाल दिवस को संविधान की हत्या दिवस के रूप में मनाना केंद्र सरकार का सही निर्णय है।
भगवानदास छारिया, इंदौर
सादगी की शादी
अठारह जुलाई को दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित लेख ‘सादी शादी बनकर रह गया सपना’ में शादी के बढ़ते खर्चों और व्यर्थ के दिखावे को दर्शाया गया है। शादी में इतना दिखावा और बेइंतिहा खर्चा करने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि आजकल शादियों का टिकना एक बहुत मुश्किल काम हो गया है। शादी एक संस्कार है जिसे सादगी से सम्पूर्ण करना चाहिए और दिखावे में नहीं पड़ना चाहिए।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली
संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशनार्थ लेख इस ईमेल पर भेजें :- dtmagzine@tribunemail.com