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कुदरत से साम्य
संपादकीय ‘कुदरत का कोहराम’ में उल्लेख है कि उत्तराखंड में चारों धाम के दर्शनार्थ लोगों की आवाजाही के दौरान कुछ वर्षों से भारी मात्रा में भूस्खलन, बाढ़ और हिमपात आदि के कारण न केवल यात्रा बाधित होती है बल्कि दुर्घटना और हादसों में मृतकों की संख्या बढ़ रही है। अच्छा हो कि पुराने मार्गों का ही रखरखाव किया जाए तथा इसके अलावा नए मार्ग निर्माण को पूर्णतया प्रतिबंधित किया जाए। पहाड़ों पर हरियाली को बढ़ाने पर भी ध्यान दें अन्यथा बिगड़ती स्थिति से भविष्य में निपटना भी मुश्किल होगा। पहाड़ प्राकृतिक देव प्रतिमा हैं, जिन्हें नाराज करना किसी भी तरह से ठीक नहीं।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन
बरसात में सुरक्षा
बरसात के मौसम में अक्सर हानिकारक जीवाणु बढ़ जाने से संक्रामक रोग होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इस दौरान हमें अपनी सेहत का खास ध्यान रखना चाहिए। इससे बचने के लिए नियमित व्यायाम करना लाभदायक रहता है। पसीने में शरीर के टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं, साथ ही हमें खानपान पर भी नियंत्रण रखना चाहिए। बरसात में हरी पत्तेदार सब्जियों का उपयोग नहीं करना चाहिए और बासी भोजन नहीं खाना चाहिए। इस मौसम में नाशपाती का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसमें फाइबर और विटामिन होते हैं। अगर इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो बरसात में पनपने वाले जीवाणुओं से सुरक्षित रहेंगे।
शिवम उपाध्याय, जीजेयू, हिसार
तर्कशील बनें
नौ जुलाई के दैनिक ट्रिब्यून में क्षमा शर्मा के लेख ‘तर्कशील सोच विकसित करें समाज में’ के अनुसार अधिकतर पढ़े-लिखे तथा अनपढ़ लोग अंधविश्वास का शिकार होकर तथाकथित बाबाओं के जाल में फंस जाते हैं। देश में स्वयं को भगवान कहने वाले तथा चमत्कारी बाबाओं की एक फौज है जो कि लोगों को बेवकूफ बनाकर करोड़ों की संपत्ति बना रहे हैं। सरकार को इन पर नकेल डालनी चाहिए। लोगों को भी चाहिए कि वह अंधविश्वास से बचें और तर्कशील बनें।
शामलाल कौशल, रोहतक
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