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08:38 AM Jul 04, 2024 IST

कानूनों की प्रासंगिकता
नये कानून लागू होने से देश भर में जांच में निश्चित रूप से तेजी आएगी। मगर इसके लिए सबसे पहले देश के प्रत्येक जिले में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से युक्त अत्याधुनिक उपकरण और विशेषज्ञों की टीम से लैस फॉरेंसिक लैब की व्यवस्था करनी होगी। इसके साथ ही देश भर में पेंडिंग मुकदमों को निपटाने के लिए सभी रिक्त पदों को भरने के साथ-साथ नए न्यायालय भी खोले जाने अति आवश्यक हैं। पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार खत्म किये बिना इन कानूनों का विशेष लाभ नहीं होगा। सुप्रीमकोर्ट में हिंदी में सुनवाई का प्रावधान किया जाना अति आवश्यक है। अंग्रेजी में सुनवाई की अनिवार्यता खत्म की जानी चाहिए।
सुभाष बुड़ावनवाला, रतलाम, म.प्र.

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सत्संग में हादसा!
संपादकीय, ‘सत्संग संग मौत’ में व्यवस्था में खामी संबंधी उठाए गए प्रश्न सर्वथा उचित हैं। ऐसे सत्संग का क्या लाभ जहां से होकर आए व्यक्ति को आपात स्थिति में अपने सिवाय किसी और की चिंता ही न हो। सत्संग के लिए भीतरी जिज्ञासा के अभाव में भेड़चाल के अनुसरण से कैसा अध्यात्म सधेगा। हादसा स्थल से फरार हो जाने वाले बाबा क्या व्यासपीठ पर बैठने के अधिकारी हैं? हृदयहीन लोगों के जमावड़े को सत्संग का नाम देना कहां तक उचित है? ये सब प्रश्न जब तक आम आदमी को नहीं कचोटेंगे, तब तक सत्संग और हादसे दोनों फलते फूलते रहेंगे ।
ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल

उपभोक्ताओं का दोहन
देश की बड़ी टेलीकॉम कंपनी ने अपने प्रीपेड और पोस्टपेड प्लान्स में 15 से 25 प्रतिशत तक रिचार्ज महंगा कर दिया है। कंपनियां जानती हैं कि देश के आम लोग मोबाइल के आदी हो चुके हैं। महंगा होने पर भी कोई आनाकानी नहीं होगी। सरकार तो वैसे भी कुछ बोलने वाली नहीं। पहले ही इन कंपनियों ने महीने के दिन 28 कर दिए। सरकार ने भी कोई आपत्ति नहीं की। जनता तो मूकदर्शक है।
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन

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