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भविष्य से खिलवाड़
पेपर लीक देश की एक बहुत ही गंभीर समस्या बनती जा रही है। पिछले सात वर्षों में करीब 70 प्रश्नपत्र लीक हो चुके हैं। इससे सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं। वहीं पेपर लीक होने से युवाओं का मनोबल टूट जाता है। कई युवा आत्महत्या तक कर लेते हैं। इसके अलावा पेपर लीक होने से संसाधनों की बर्बादी भी होती है। युवा उम्मीदवार कोचिंग, आवेदन शुल्क आदि में खर्च करते हैं और अक्सर कर्ज लेकर पढ़ाई के लिए दूसरे स्थान भी जाते हैं। पेपर लीक होने के चलते वे हतोत्साहित हो जाते हैं। सरकार को इसका पारदर्शी और विश्वसनीय समाधान निकालना चाहिए।
शिवम उपाध्याय, जीजेयू, हिसार
बड़ी सर्जरी जरूरी
बाईस जून के दैनिक ट्रिब्यून में लोकमित्र गौतम का लेख ‘परीक्षा तंत्र की सर्जरी से ही नासूर का इलाज’ नीट में धांधली को लेकर विश्लेषण करने वाला था। विभिन्न परीक्षाओं में पेपर लीक होने की समस्या बहुत पुरानी है। इसके समाधान के लिए बेशक समय-समय पर कठोर से कठोर कानून बनाए गए। लेकिन पेपर लीक की समस्या का हल नहीं ढूंढ़ा जा सका। किसी भी परीक्षा का पेपर लीक होना अंदर के लोगों की बिना मिलीभगत से हो पाना संभव नहीं। लेकिन इन सब बातों से कुछ होने वाला नहीं है। वास्तव में बहुत बड़ी सर्जरी की जरूरत है।
शामलाल कौशल, रोहतक
मानवीय हो पाक
भारत-पाकिस्तान के संबंध मौजूदा दौर में ठीक नहीं हैं। कभी कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा तो कभी वैश्विक स्तर पर अलापते कश्मीरी राग ने शांतिप्रिय देशों से भी पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया है। अलबत्ता पाक सरकार भारत का विश्वास जीतने की कोशिश कर सकती है। पाकिस्तान स्थित महाराजा रणजीत सिंह की समाधि के सौंदर्यकरण की बात करके वहां की सरकार ने अच्छे संकेत दिए हैं। इसी तरह हिंदू मंदिरों का विध्वंस, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार भी बंद करके पाक प्रशासन मानवता का परिचय दे।
अमृतलाल मारू, इंदौर, म.प्र.