बढ़ता प्रदूषण और जवाबदेही
साझी जवाबदेही
वायु प्रदूषण हमारे देश की एक गंभीर समस्या है, विशेषकर अक्तूबर और नवंबर में। किसानों द्वारा धान की पराली जलाने के अलावा, शहरी वाहनों, प्लास्टिक कचरे, और ईंट भट्ठों का धुआं भी इसके प्रमुख कारण हैं। दिवाली पर आतिशबाजी वायु को और प्रदूषित करती है। वायु की स्वच्छता के लिए व्यक्तिगत और संस्थागत जवाबदेही आवश्यक है। सरकार को आतिशबाजी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहिए और ईंधन की गुणवत्ता का परीक्षण नियमित रूप से करना चाहिए। हमारी स्वास्थ्य और जीवन का आधार साफ हवा है।
सुरेन्द्र सिंह ‘बागी’, महम
ठोस कदम उठाएं
हर साल दशहरा और दिवाली पर दिल्ली के आसपास प्रदूषण अत्यधिक बढ़ जाता है, जिसका मुख्य कारण फसलों के अवशेषों और पटाखों का जलाना है। सड़क पर उड़ती धूल और वाहनों का धुआं भी प्रतिदिन हवा को प्रदूषित करता है। सरकारी तंत्र के नियम-कानून मौजूद हैं, लेकिन सभी एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराने में लगे रहते हैं। हमारी सामूहिक जवाबदेही ही प्रदूषण से छुटकारा दिला सकती है। इस गंभीर स्थिति का नकारात्मक असर हमारे जीवन को खतरे में डाल रहा है। हमें इसे नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
देवी दयाल दिसोदिया, फरीदाबाद
जिम्मेदारी और समाधान
दिल्ली की आबोहवा में अक्तूबर-नवंबर में प्रदूषण इस कदर बढ़ जाता है कि आपातकाल जैसे हालात पैदा हो जाते हैं। प्राइमरी स्कूलों में छुट्टियां करनी पड़ती हैं और लोगों को बचने के लिए विशेष हिदायतें दी जाती हैं। लेकिन यह स्थिति कब तक चलेगी? क्या हमें सिर्फ सरकारों का मुंह ताकना चाहिए? हमें खुद भी प्रदूषण के कारणों के प्रति गंभीर होना चाहिए और ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए जो वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं। बढ़ता प्रदूषण जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ा रहा है। अगर हम नहीं जागे, तो भविष्य में जीना मुश्किल हो जाएगा।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
पर्यावरण जागरूकता
अक्तूबर का महीना शुरू होते ही उत्तरी भारत में प्रदूषण बढ़ने लगता है। इस समय पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धान की कटाई होती है, जिससे हवा में धान की पराली जलाने से भयानक प्रदूषण फैलता है। एक जिम्मेदार नागरिक के नाते, हमें स्वच्छता अभियान चलाकर लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना चाहिए। सरकार के प्रयासों में सहयोग देकर, पराली का उचित उपयोग करना, और निर्माण कार्यों के दौरान धूल पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। हमें नदियों में पूजा सामग्री और कचरा नहीं डालना चाहिए।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़, रेवाड़ी
आदतें बदलें
आज खराब हवा और बढ़ते प्रदूषण के लिए लोग ही जिम्मेदार हैं। किसानों द्वारा पराली जलाना इस समस्या का एक प्रमुख कारण है। त्योहारों के दौरान, लोग पटाखे चलाने से नहीं चूकते, जिससे हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है। सरकार द्वारा प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद, इनके इस्तेमाल में कोई कमी नहीं आई है। लोग अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते और सभी उपायों का भार सरकार पर डाल देते हैं। इस लापरवाही और असंवेदनशीलता का परिणाम है कि प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। अगर हम अपनी आदतें नहीं बदलेंगे, तो हालात और बिगड़ेंगे।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली
पुरस्कृत पत्र
सामूहिक प्रयास
ठंड की दस्तक के साथ दिवाली के आसपास दिल्ली और एनसीआर की आबोहवा जानलेवा हो जाती है। यह समस्या सालों से बनी हुई है, जबकि राजनीतिक लोग एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहते हैं। अफसोस है कि कारगर समाधान की तलाश नहीं होती। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते, हमें कुछ कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। हमें सार्वजनिक वाहनों का अधिक प्रयोग करना चाहिए, दीपावली पर पटाखों से बचना चाहिए, और बच्चों को प्रदूषण रहित दीपावली मनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। सामूहिक प्रयास प्रदूषण को कम कर सकते हैं।
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, रेवाड़ी