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विनम्रता का पाठ
‘विनम्रता का पाठ भी तो पढ़ें सत्ताधीश’ लेख में सचदेव ने उल्लेख किया है कि सत्ता में बैठे लोग शासक नहीं सेवक होते हैं। जनता की सेवा करने में अहम् नहीं बल्कि विनम्रता झलकना ही चाहिए। मैंने किया, एक अकेला सब पर भारी, मैं हूं तो मुमकिन है, सबसे बड़ा सेवक मैं, और मेरी गारंटी आदि शब्दों के साथ में अहं की बू को जनता ने समझ कर सटीक जवाब दिया। मोहन भागवत ने अप्रत्यक्ष रूप से इस संबंध में अपनी बात बता दी थी। उल्लेखनीय है कि सत्ताधीश जो भी सेवा देते हैं, उसमें शासन के धन से और अन्न शासकीय भंडार से बांटा जाता है, न कि किसी भी व्यक्ति की ओर से। सत्ताधीश को अब हम, सरकार और दल का नाम लेना होगा।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन
ताप का समाधान
बीस जून के दैनिक ट्रिब्यून के सम्पादकीय पृष्ठ पर ज्ञानेंद्र रावत का लेख ‘जीवाश्म ईंधन खपत में कमी ही बढ़ते ताप का समाधान’ पढ़ा। इसमें विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार वैश्विक तापमान की सीमा छूने का अर्थ है कि विश्व पिछली शताब्दी औद्योगिक काल से पहले के तापमान के मुकाबले अब 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म है। इससे जलवायु परिवर्तन और अलनीनो ने इसमें अहम भूमिका निभाई है। जिसमें कोयला, तेल और गैसों का अत्यधिक मात्रा में प्रयोग करने के दुष्परिणाम हैं। पेड़ों के कटाव को रोकना होगा, प्रकृति जलवायु के अनुसार पेड़-पौधों को लगाने से बढ़ते ताप का समाधान हो सकता है।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़, रेवाड़ी
नशे पर नश्तर
बीस जून के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘नशे पर नश्तर’ पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा नशा तस्करों के खिलाफ उठाए गए कदमों का वर्णन करने वाला था। आज पंजाब के हर दूसरा या तीसरा युवक नशाखोरी का शिकार है। नशाखोरी के चलते युवा पथभ्रष्ट हो रहे हैं। वहीं व्यवस्था में काली भेड़ों को खत्म करना ज़रूरी है। इस गठजोड़ को तोड़ना बहुत जरूरी है। सरकार द्वारा नए पुलिसकर्मी भरती करना भी युवाओं की निराशा दूर करने तथा नशे से दूर रहने में मदद करेगा।
शामलाल कौशल, रोहतक