आपकी राय
वक्त के सवाल
पंद्रह जून के दैनिक ट्रिब्यून में देवेंद्र शर्मा का लेख ‘खेती लाभकारी बने तो रुकेगा युवाओं का पलायन’ पर चर्चा करने वाला था! खेतीबाड़ी में सरकार उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई उपाय तो करती है परंतु किसानों को उत्पादन बेचने से घाटा होता है। सरकार कृषि उत्पादकों के विविधीकरण का सुझाव देती है परंतु लेखक ने टमाटर का उत्पादन करने वाले एक किसान का कटु अनुभव बताकर साबित करने की कोशिश की है कि इससे भी स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिश के मुताबिक लाभकारी मूल्य नहीं मिलते। जब तक किसानों को उत्पादन का लाभकारी मूल्य नहीं मिलेगा तब तक न तो आर्थिकी स्थिर रह सकती है और न ही किसानों के पुत्रों का पलायन को रोका जा सकता है।
शामलाल कौशल, रोहतक
धांधली की जांच हो
दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित संपादकीय ‘पारदर्शिता-शुचिता के प्रश्न’ पढ़ा। हाल में संपन्न हुई भारतीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा अर्थात् नीट में गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है। ऐसा हुआ है तो यह मेहनतकश परीक्षार्थियों के साथ धोखा है। ऐसे में अगर कोई गलत तरीके से डॉक्टर बन भी जाता है तो क्या वह मरीजों के साथ इंसाफ कर पायेगा? यह घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं। क्या इसके लिए परीक्षाओं का संचालन करने वाला प्रशासन लापरवाह है। इस पर जांच होनी चाहिए।
अंकित सोनी, मनावर, म.प्र.
छात्रों के हित में
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने विदेशी विश्वविद्यालयों की तरह देश के विश्वविद्यालयों को भी एक वर्ष में दो बार दाख़िले पर अनुमति दे दी है। वास्तव में जो छात्र किसी कारणवश जुलाई-अगस्त में दाख़िला नहीं ले पाते थे, अब वे भी इसके दाखिला लेने के पात्र होंगे। पिछले कुछ सालों में ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन में दाख़िलों की संख्या में गिरावट आई है। अब यूजीसी के नए नियमों के अनुसार वर्ष में दो बार दाख़िले होने से छात्रों को लंबा इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा।
सौरभ बूरा, जीजेयू, हिसार
संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशनार्थ लेख इस ईमेल पर भेजें :- dtmagzine@tribunemail.com