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06:35 AM Jun 11, 2024 IST

मानवीय संकट
आठ जून के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘पानी की कसक’ दिल्ली में पीने के पानी को लेकर उत्पन्न संकट का वर्णन करने वाला था! दिल्ली में गंभीर जल संकट का मुख्य कारण जल का कुप्रबंधन है तथा इसके अलावा हरियाणा द्वारा दिल्ली को पीने का पर्याप्त पानी यमुना द्वारा मुहैया न कराना है। बेशक दिल्ली सरकार संकटग्रस्त क्षेत्रों में टैंकरों द्वारा पानी सप्लाई करवा रही है, इसके बावजूद पीने के पानी पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। इस समस्या के मानवीय पक्ष को जरूर ध्यान में रखना चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक

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नई चुनौतियां
वर्तमान में गठबंधन की नई सरकार को पूर्व की अपेक्षा अधिक चुनौतियों का सामना करना होगा। विपक्ष भी पूर्व की अपेक्षा अधिक सशक्त है। देश में बेरोजगारी और महंगाई कम करने तथा आर्थिक, लैंगिक और जनसंख्या संतुलन लाने हेतु सियासत कम और धरातल पर ज्यादा काम करने होंगे। सरकार ने गत दस वर्ष में जितने कार्य किए हैं, उसी गति को बनाने हेतु अगले पांच साल तक सरकार को विपक्ष का साथ लेना होगा। विपक्ष को भी सरकार के साथ सहयोग भाव रखना होगा।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन

गरीबों का उद्धार
देश में गरीबी उन्मूलन के प्रयास पूरी तरह निष्फल साबित नहीं हुए हैं। शासन की कल्याणकारी नीतियों से गरीबी के ग्राफ से कई परिवार बाहर निकले हैं। लोगों की क्रय शक्ति बढ़ी है। आरक्षण को आर्थिक आधार पर लागू करने से एवं जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करके गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों के आर्थिक स्तर में और भी सुधार लाया जा सकता है।
ललित महालकरी, इंदौर

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जागरूकता जरूरी
भारी गर्मी के चलते हरियाणा में लोगों को बिजली और पानी की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार को लोगों को सोलर पैनल लगाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। लोगों का भी कर्तव्य है कि वे पानी की बर्बादी न करें। सरकार और जनता की मदद से ही इस समस्या से उबरा जा सकता है।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली

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