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06:43 AM Jun 08, 2024 IST
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जीवन बचाएं
पांच जून के दैनिक ट्रिब्यून के सम्पादकीय पृष्ठ पर पर्यावरण दिवस के अवसर पर ज्ञानेंद्र रावत का लेख ‘जलवायु परिवर्तन के मुकाबले को बनें कारगर नीतियां’ पढ़कर महसूस हुआ कि जलवायु परिवर्तन से पूरे संसार में जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। समुद्र का जल स्तर बढ़ने, भूमि बंजर होने से तापमान में दो डिग्री की बढ़ोतरी से 115.2 करोड़ लोगों के लिए जल, जमीन और भोजन का संकट पैदा हो जायेगा। प्रतिकूल जलवायु के कारण जीव जन्तुओं को अपना प्राकृतिक वास छोड़ना पड़ सकता है। जब तक कानूनी रूप से बाध्यकारी नीतियां नहीं होंगी, जब तक जलवायु लक्ष्यों को पाना कठिन है।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़

विश्वास बढ़ा
आम चुनाव से पहले कुछ राजनीतिक दल और अन्य लोग चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली और ईवीएम पर संदेह कर रहे थे। इस बार के आम चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की लेकिन पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के कारण ईवीएम शायद बदनाम होने से बच गई। हाल ही में लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत न मिलने और कांग्रेस के गठबंधन इंडिया को 200 से अधिक सीटें मिलने के कारण इस बार किसी ने भी ईवीएम पर सवाल खड़े नहीं किए। देश में चुनाव आयोग हर चुनाव से पहले ईवीएम की उचित और निष्पक्ष जांच करता है, इसलिए ईवीएम में गड़बड़ी होने का जरा भी संदेह नहीं किया जा सकता।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर

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हवा में तीर
एक जून को लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के खत्म होने के साथ ही देश में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का कथित ज्योतिषवाद शुरू हो गया। न जाने कौन-कौन सी एजेंसियों के सर्वे लोगों पर थोप दिए। ये तो निर्विवाद सत्य था कि 4 जून को आधिकारिक परिणाम ही देश की नई सरकार और उसके बहुमत की संख्या तय करेंगे फिर निरा अतार्किक चिंतन जनता पर थोपने का क्या औचित्य? लेकिन इस बार तमाम अनुमान झुठला गए जो यह सिद्ध करते हैं कि एग्जिट पोल हवा में तीर था।
अमृतलाल मारू, इन्दौर, म.प्र.

नई चुनौतियां
वर्तमान में गठबंधन की नई सरकार को पूर्व की अपेक्षा अधिक चुनौतियों का सामना करना होगा। विपक्ष भी पूर्व की अपेक्षा अधिक सशक्त है। देश में बेरोजगारी और महंगाई कम करने तथा आर्थिक, लैंगिक और जनसंख्या संतुलन लाने हेतु सियासत कम और धरातल पर ज्यादा काम करने होंगे। सरकार ने गत दस वर्ष में जितने कार्य किए हैं, उसी गति को बनाने हेतु अगले पांच साल तक सरकार को विपक्ष का साथ लेना होगा। विपक्ष को भी सरकार के साथ सहयोग भाव रखना होगा।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन

शान की सवारी साइकिल
दो जून के दैनिक ट्रिब्यून रविरंग अंक में रेणु जैन का ‘शान की सवारी साइकिल हमारी’ लेख शिक्षाप्रद, प्रेरणादायक रहा। भागदौड़ की जिंदगी में मानव साइकिल चलाने की अपेक्षा डॉक्टरी इलाज से अपने आप को चुस्त-दुरुस्त रखने का पक्षधर है। जबकि साइकिल चलाना व्यायाम, प्रदूषण रहित, कम खर्चीला साधन, स्वास्थ्यवर्धक रामबाण है। विदेशी-स्वदेशी शारीरिक पहलुओं का जीवन उपयोगी विश्लेषण काबिले तारीफ रहा।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

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