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नये संकल्प
तीन जून के दैनिक ट्रिब्यून के सम्पादकीय पृष्ठ पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लेख ‘कन्याकुमारी में साधना से निकले नये संकल्प’ पढ़कर महसूस हुआ कि विकसित भारत का लक्ष्य अब दूर नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत को विकसित एवं समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए अगले 25 वर्ष राष्ट्र को समर्पित करने को कह रहे हैं। नि:संदेह स्वामी विवेकानंद और संत तिरुवल्लुवर जैसे महान नायकों के विचारों की धाराएं यहां राष्ट्र का चिंतन संगम बनती हैं। इससे राष्ट्र निर्माण की महान प्रेरणाओं का उदय होता है।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़
पर्यावरण की प्राथमिकता
पांच जून का पर्यावरण दिवस हर वर्ष की तरह इस बार भी मात्र औपचारिकता बनकर रह जाएगा। धरती बचाने के लिए बड़ी-बड़ी बातें होंगी और धरातल और अधिक सूखता जायेगा। अनुमान है कि 2030 तक भारत का जल स्तर 400 मीटर नीचे तक चला जाएगा। सभी बड़े भवनों पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया जाना चाहिए। यदि देश के युवाओं ने पर्यावरण सुधार का अभियान अपने हाथों में नहीं लिया, आवश्यकता के अनुरूप पौधारोपण और वाटर रिचार्जिंग नहीं की गई तो बेंगलुरु जैसे हालात देश के सभी बड़े शहरों के हो जाएंगे। सरकार को भी अब पर्यावरण सुधार को अपनी प्राथमिकता में शामिल करना होगा।
सुभाष बुड़ावनवाला, रतलाम, म.प्र.
गर्मी का कहर
संपादकीय ‘जानलेवा गर्मी’ में उल्लेख है कि पड़ रही गर्मी से मानव ही नहीं, बल्कि जीव मात्र भी परेशान हैं। संभावना यह भी व्यक्त की गई है कि अगले वर्षों में गर्मी कम नहीं होने वाली। बढ़ती गर्मी से विभिन्न प्रकार की बीमारियां पैदा होने के साथ मानसिक बीमारियां भी बढ़ने का अंदेशा है। अच्छा हो कि हम पौधारोपण तथा जल संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ ई-वाहनों का उपयोग भी बढ़ाएं, ताकि कुछ वर्षों में गर्मी से राहत के साथ वायु और ध्वनि प्रदूषण से भी राहत मिल सके।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन