आपकी राय
जवाबदेही तय हो
बीती शनिवार रात को पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार स्थित ‘बेबी केयर’ अस्पताल में कर्मचारियों की लापरवाही से लगी आग से सात नवजात शिशुओं की मौत हो गई। वहीं पांच बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गये, जिनका दूसरे अस्पताल में इलाज चल रहा है। पुलिस की जांच से पता चला कि अस्पताल की लाइसेंस अवधि समाप्त हो रखी थी। सवाल है कि ये सब दुर्घटना के बाद ही क्यों पता चलता है? क्या करते हैं, वे अधिकारी व विभाग, जिनकी जिम्मेदारी इन पर नजर रखने की होती है? क्या इन अधिकारियों व विभागों का काम घटना के बाद जांच, दंड और मुआवजे की घोषणा जैसी औपचारिकताएं पूरी करना ही है? जब तक ऊपर से लेकर नीचे तक कार्रवाई नहीं की जाएगी, ऐसी घटनाएं देखने को मिलती रहेंगी।
सौरभ बूरा, जीजेयू, हिसार
खाक होती ज़िंदगी
राजकोट जैसी अग्िनकांड की घटना पहले भी घट चुकी है। नतीजा वही ढाक के पात। इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए कोई भी अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ रहा है। सरकार ने हर तरह से विभागों व मुलाजिमों की तैनाती कर रखी है, ताकि व्यवस्था ठीक-ठाक बनी रहे। लेकिन भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी के चलते कागजी खानापूर्ति की जा रही है। इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए जवाबदेही सुनिश्चित होनी चाहिए। निर्दोष जिंदगियां कब तक लापरवाही व अनदेखी के चलते आग में खाक होती रहेंगी।
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन
वोट बैंक का अस्त्र
हाल ही में कलकत्ता हाईकोर्ट ने धर्म के नाम पर आरक्षण को गैर-संवैधानिक बताते हुए इसे लागू न करने का आदेश देते हुए ममता सरकार को झटका दिया। इस बार के आम चुनाव में कांग्रेस एक कदम आगे दिखते हुए धर्म विशेष के लोगों को आरक्षण देने की बात कर रही है। सवाल है कि क्या दूसरे धर्म के हर जाति वर्ग के गरीबों को आरक्षण की बात नहीं की जा सकती? दरअसल, इस प्रकार का आरक्षण राजनेताओं के लिए वोट बैंक का हथियार है।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर