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मार्गदर्शक विमर्श
सोलह मई के दैनिक ट्रिब्यून में सम्पादकीय पृष्ठ पर विश्वनाथ सचदेव का लेख ‘चौथे स्तंभ की सजगता से ही जनतंत्र को मजबूती’ मीडिया की समाज के प्रति जिम्मेदारी को बयां करता है। मीडिया समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सेतु का काम करता है। समय-समय पर मीडिया लोगों को उनके अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक करता है। हालांकि, कई बार मीडिया को दबाने की कोशिश की गई लेकिन मीडिया मुखर होकर जनता की आवाज उठाता रहा है। मीडिया की जिम्मेदारी बनती है कि वह निष्पक्ष, स्वतंत्र और नैतिकता के साथ सामाजिक उत्तरदायित्वों का पालन करे।
सोहन लाल गौड़, बाहमनीवाला, कैथल
पहले सशक्त बनाएं
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने लखनऊ में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की है कि यदि इंडिया गठबंधन सत्ता में आता है तो गरीबों को 5 किलो अनाज की जगह 10 किलो दिया जाएगा। यहीं पर एक बड़ा सवाल उठता है कि लोकसभा चुनाव में आखिर राष्ट्रीय बहस के मुद्दे क्यों लुप्त होते जा रहे हैं। क्या वास्तविक मुद्दों से चुनाव नहीं जीता जा सकता है? देश में करोड़ों लोग कर देते हैं, यदि इस बड़ी राशि को इस तरह से प्रयोग किया जाएगा तो यह व्यवस्था संदेह के घेरे में रहेगी। हमें रोजगार पर राष्ट्रीय बहस करनी चाहिए।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
भ्रष्टाचार का होर्डिंग
मुंबई में अवैध होर्डिंग के पेट्रोल पंप पर गिरने से 16 व्यक्तियों की जान चली गई। लगभग 75 लोग घायल हो गए। भ्रष्टाचार की आड़ में कितने ही गैरकानूनी अवैध कार्य हो जाते हैं जब कोई दुर्घटना होती है तो लीपापोती कर मामला रफादफा कर दिया जाता है। संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों पर निलंबन के साथ-साथ मुआवजा वसूल कर संबंधित मृत व्यक्ति के परिवार को देना चाहिए।
भगवानदास छारिया, इंदौर