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बुजुर्गों की फिक्र
तेरह मई के दैनिक ट्रिब्यून में ‘बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं से सेहत व कार्य क्षमता सुधारें’ लेख ज्ञानवर्धक था। भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला युवाओं का देश है। जल्द ही भारत बुजुर्गों का देश बन जाएगा, जो चिंता का विषय है। अन्य देशों के मुकाबले भारत में बुजुर्गों के स्वास्थ्य के प्रति कमजोर नीति है। सरकार मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देकर प्राइवेट पांच सितारा अस्पताल बनवाकर कमाई करने का मौका दे रही है लेकिन वहां एक बुजुर्ग इलाज करवाने की सोच भी नहीं सकता। सरकार को चाहिए कि बुजुर्गों के स्वास्थ्य की सुविधा व योग्यता के आधार पर कोई काम दे।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
मंथन का वक्त
जनसंख्या के मामले में भारत दुनिया भर में एक नंबर पर पहुंच चुका है। अगर भारत सरकार और देश का आमजन बढ़ती जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए गंभीरता दिखाए तो इस पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकती है। समय आ चुका है कि सरकार देश में बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए गंभीरता दिखाते हुए जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाकर इसे गंभीरता से लागू करे। विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का मकसद तभी पूरा होगा, जब सारी दुनिया जनसंख्या वृद्धि के दुष्प्रभावों का आकलन करे।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
वास्तविक सुरक्षा मिले
बारह मई को पूरे विश्व में मातृ दिवस मनाया गया। लेकिन भारत में जिस तरह से मातृशक्ति का अपमान, शोषण एवं अत्याचार होता है, यह एक दिखावा भर लगता है। देश की सभी सरकारों को मातृशक्ति के सम्मान के लिए, सुरक्षा के लिए, स्वाभिमान के लिए आगे आना होगा। राजनीतिक दलों और सरकार के नारी शक्ति के नारों से कुछ भला नहीं होने वाला। जमीनी स्तर पर कार्य करने की जरूरत है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
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