आपकी राय
सनातन संस्कार
सात मई के दैनिक ट्रिब्यून में सम्पादकीय ‘विवाह की गरिमा’ में देश की शीर्ष अदालत द्वारा हिन्दू रीति-रिवाजों को सम्मानपूर्वक एवं पवित्र मानने पर केंद्रित था। आधुनिक समय में परम्परागत हिन्दू विवाह के तौर-तरीकों को नजरंदाज किया जा रहा है। इसी कारण अदालत को याद दिलाना पड़ा कि हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के अन्तर्गत विवाह की कानूनी जरूरतों तथा पवित्रता की गम्भीरता को लेने की आवश्यकता है। पवित्र अग्नि के चारों ओर सात फेरे लगाने के संस्कार व सामाजिक समारोह से ही विवाह को मान्यता मिल सकती है। हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित रीति रिवाजों का सम्मान करना चाहिए। विवाह दो परिवारों का एक मधुर मिलन के साथ-साथ एक पारिवारिक सामाजिक एवं सम्माननीय रिश्ता भी है।
जय भगवान भारद्वाज, नाहड़
अस्मिता के अहसास
पांच मई के दैनिक ट्रिब्यून अध्ययन कक्ष अंक में अरुण नैथानी की ‘अनसुनी सिसकियां’ कहानी पुरखों की धरोहर जननी जन्मभूमि पर्वतीय माटी की सोंधी महक की यादें ताजा करने वाली रही। पहाड़ी प्रदेश की प्राकृतिक मनोरम छटा, रहन-सहन, आचार-विचार, भवन निर्माण कला के अवशेष बढ़ते शहरी पलायन के परिणामस्वरूप बदले परिप्रेक्ष्य का सिंहावलोकन काबिलेतारीफ रहा। विकास की दौड़ में पिछड़े प्रदेश सरकार की उपेक्षा का शिकार इलाकों की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
जंगल से जीवन
आये दिन जंगलों में लगने वाली आग देश ही नहीं संपूर्ण विश्व के लिए एक गंभीर चुनौती है। इस कारण जंगलों का क्षेत्रफल लगातार कम होता जा रहा है। पिछले एक दशक में संपूर्ण विश्व में जंगल में आग की घटनाओं की एक शृंखला-सी बन गई है। अकेले म.प्र. के जंगलों में मात्र डेढ़ माह की अवधि में आग लगने की 550 घटना हुई। वहीं उत्तरांचल के जंगलों में आग लगने की 930 घटना हुई। जंगल वैश्विक धरोहर है तथा इसी पर धरती का अस्तित्व निर्भर है।
विमलेश पगारिया, बदनावर, म.प्र.