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मतदान प्रतिशत बढ़े
देश में मतदाताओं की बेरुखी जगजाहिर है। करीब 30 से 35 प्रतिशत लोग मतदान हेतु अपने घर से बाहर निकलते ही नहीं। मतदान की अनिवार्यता सुनिश्चित करने हेतु कड़े नियम बनने चाहिए। इसकी अवहेलना करने वालों को सरकारी सुविधा से वंचित करने जैसा प्रावधान कर दिया जाये तो मतदान प्रतिशत बढ़ेगा। साथ ही सुयोग्य प्रतिनिधि चुने जा सकेंगे। केवल अपरिहार्य परिस्थितियों में ही कोई मतदान से दूरी बना सकेगा। यदि ऐसा सम्भव हुआ तो मतदान का प्रतिशत अप्रत्याशित रूप से बढ़ेगा।
बुधिराम सिंह कुशवाहा, शाहाबाद मारकंडा
जल से जीवन बचाएं
उनतीस अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘गहराता जल संकट’ देश में संभावित जल संकट की चेतावनी देने वाला था। इन दिनों सिलिकॉन सिटी बेंगलुरु पानी की समस्या से जूझ रहा है। ऐसे में जल संरक्षण ही एकमात्र विकल्प है। देश में अधिकतर कृषि क्षेत्र वर्षा पर निर्भर हैं। इसके मद्देनजर कम पानी वाली फसलें पैदा करनी चाहिए। बावजूद इसके सरकार को व्यावहारिक योजनाएं बनानी चाहिए। भविष्य सुरक्षित बनाने की चाहत में जल ही जीवन है, पानी की एक-एक बूंद बचाना प्रत्येक नागरिक का फर्ज होना चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
हिंसा पर अंकुश
सुरक्षा बलों की सतर्कता और कड़ी कार्रवाई से नक्सलवाद का दंश कम होता दिख रहा है। सर्च ऑपरेशन में मुठभेड़ के बाद जो परिणाम सामने आ रहे हैं वही एकमात्र उपाय है जिससे आतंंकवादियों पर शिकंजा कसा जा सकता है। हाल ही में 29 नक्सलवादियों के सामूहिक एनकाउंटर के बाद 10 नामी नक्सली फिर सुरक्षा बलों के निशाने चढ़े हैं। पंजाब, असम, जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में अगर शांति आई है तो उसकी एकमात्र वजह निरंतर कड़ी कार्रवाई है। वैसे भी हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है।
अमृतलाल मारू, इंदौर, म.प्र.