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जल संकट दूर करें
उनतीस अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून में संपादकीय ‘गहराता जल संकट’ में स्पष्ट रूप से चिंता प्रकट की गई है कि देश में मई-जून में पानी की किल्लत हर प्रदेश में हो जाती है जिसके पीछे जल भंडारण सही तरीके से नहीं होना है। वहीं बारिश में पानी सड़कों से बह जाता है। घरेलू आवश्यकताओं के साथ-साथ कृषि के लिए पानी नहीं मिलना भी चिंता का विषय हैै। जल भंडारण और उसके सही वितरण में काफी निवेश समय की आवश्यकता है। कृषि पद्धतियों में सुधार के साथ-साथ फसल विविधिकरण पर जोर देना होगा। आम लोगों को भी पानी के सही सदुपयोग पर कार्य करना होगा।
भगवानदास छारिया, इंदौर
प्रेरक सृजन
इक्कीस अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून अध्ययन कक्ष अंक में डॉ. पंकज मालवीय की ‘पिता’ कहानी दिल की गहराइयां बन गयीं। कथा नायिका की अल्पायु में वैधव्य की जिंदगी समाज की घूरती आंखों का मुंहतोड़ जवाब रही। बालक नंदन के जिगर में शहीद पिता की यादों को सांत्वना दिलाती मातृशक्ति हिम्मत धैर्य की मिसाल बनी। अशोक जैन की ‘कैसे-कैसे घाव’ कथा माता-पिता के त्याग बलिदान के प्रति वर्तमान पीढ़ी की वैचारिक सोच को उजागर करने में कामयाब रही।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
मतदाता की उदासीनता
सभी भारतीयों को यह चिंता का विषय होना चाहिए कि लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में मतदान का प्रतिशत 2019 के 70 के मुकाबले 63 प्रतिशत रहा। निर्वाचन आयोग को संज्ञान लेना चाहिए। छह चरणों का चुनाव होना बाकी है, सभी भारतीयों की जिम्मेदारी है कि अधिकांश मतदाता की भागीदारी कैसे सुनिश्चित की जाए। सवाल उठता है कि कम मतदान क्या मतदाताओं की उदासीनता अथवा राजनीतिक दलों के प्रति बेरुखी है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली