मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

आपकी राय

06:36 AM May 01, 2024 IST
Advertisement

जल संकट दूर करें
उनतीस अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून में संपादकीय ‘गहराता जल संकट’ में स्पष्ट रूप से चिंता प्रकट की गई है कि देश में मई-जून में पानी की किल्लत हर प्रदेश में हो जाती है जिसके पीछे जल भंडारण सही तरीके से नहीं होना है। वहीं बारिश में पानी सड़कों से बह जाता है। घरेलू आवश्यकताओं के साथ-साथ कृषि के लिए पानी नहीं मिलना भी चिंता का विषय हैै। जल भंडारण और उसके सही वितरण में काफी निवेश समय की आवश्यकता है। कृषि पद्धतियों में सुधार के साथ-साथ फसल विविधिकरण पर जोर देना होगा। आम लोगों को भी पानी के सही सदुपयोग पर कार्य करना होगा।
भगवानदास छारिया, इंदौर

प्रेरक सृजन
इक्कीस अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून अध्ययन कक्ष अंक में डॉ. पंकज मालवीय की ‘पिता’ कहानी दिल की गहराइयां बन गयीं। कथा नायिका की अल्पायु में वैधव्य की जिंदगी समाज की घूरती आंखों का मुंहतोड़ जवाब रही। बालक नंदन के जिगर में शहीद पिता की यादों को सांत्वना दिलाती मातृशक्ति हिम्मत धैर्य की मिसाल बनी। अशोक जैन की ‘कैसे-कैसे घाव’ कथा माता-पिता के त्याग बलिदान के प्रति वर्तमान पीढ़ी की वैचारिक सोच को उजागर करने में कामयाब रही।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

Advertisement

मतदाता की उदासीनता
सभी भारतीयों को यह चिंता का विषय होना चाहिए कि लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में मतदान का प्रतिशत 2019 के 70 के मुकाबले 63 प्रतिशत रहा। निर्वाचन आयोग को संज्ञान लेना चाहिए। छह चरणों का चुनाव होना बाकी है, सभी भारतीयों की जिम्मेदारी है कि अधिकांश मतदाता की भागीदारी कैसे सुनिश्चित की जाए। सवाल उठता है कि कम मतदान क्या मतदाताओं की उदासीनता अथवा राजनीतिक दलों के प्रति बेरुखी है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली

Advertisement
Advertisement