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महंगाई की फिक
सत्ताईस अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘महंगाई की फिक्र’ पर चर्चा करने वाला था! कई अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने भारत की जीडीपी के 7 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद जाहिर की है। आरबीआई ने पिछले कई वर्षों से रेपो दर को पहले की तरह रहने दिया है ताकि कीमतों पर इसका विपरीत प्रभाव न पड़े। इसके बावजूद पिछले दो वर्षों से रूस-यूक्रेन युद्ध, इस्राइल तथा हमास संघर्ष और हूती विद्रोही समुद्र में तेल के जहाज पर जिस तरह हमला कर रहे हैं उससे पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। ऐसे में बिचौलियों व कालाबाजारियों पर नजर रखने की जरूरत होगी।
शामलाल कौशल, रोहतक
अमेरिकी नागरिकता
ग्रीन कार्ड के जरिये अमेरिका की नागरिकता प्राप्त करने वाला भारत दूसरा देश बन गया हैं। भारत सरकार को कूटनीतिक स्तर पर अमेरिका से बातचीत करके अधिक भारतीय नागरिकों को शीघ्र नागरिकता देने के प्रयास करने चाहिए। अमेरिका को यह समझना चाहिए कि वहां पर कार्यरत भारतीय अमेरिका के लिये सभी दृष्टियों से लाभप्रद हैं। नागरिकता प्रदान करने के साथ ही वहां पर भारतीयों के साथ हो रही हिंसा पर भी अमेरिकी प्रशासन को सख्त एक्शन लेना चाहिए!
विभूति बुपक्या, खाचरोद, म.प्र.
परेशानी का सबब
‘रेल रोकने का औचित्य’ संपादकीय में किसानों के आंदोलन के चलते रेल रोकने से यात्रियों की पीड़ा को बखूबी उजागर किया गया है। समय-समय पर देश की शीर्ष अदालत के मार्गदर्शक फैसले आते रहे हैं कि हमें किसी आंदोलन के नाम पर नागरिक जीवन को बंधक नहीं बनाना चाहिए। रेल ट्रैकों को जाम करने से रेलगाड़ियां न केवल स्थगित और देर से चल रही हैं बल्कि सरकार को राजस्व में भारी नुकसान का सामना भी करना पड़ रहा है। किसानों को यह समझना चाहिए कि अपनी मांगों के चलते आम जनता को परेशानी में डालना उचित नहीं है।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली