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06:29 AM Apr 26, 2024 IST

गरीबी बदस्तूर
चौबीस अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून में राकेश गांधी का लेख ‘मगर गरीबी है कि हटती ही नहीं’ देश में गरीबी का विश्लेषण करने वाला था। हमारी अर्थव्यवस्था के विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का क्या लाभ जब लोगों को उनकी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलती। वास्तव में गरीबों को लेकर कागजों पर योजनाएं तो सभी सरकारें बनाती रही हैं परंतु जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता। चुनाव जीतने के लिए सभी राजनीतिक दल चुनावी हथकंडे के तौर पर इसे इस्तेमाल करते हैं। जिस दिन सरकार ईमानदारी से गरीबी दूर करने का दृढ़ निश्चय कर लेगी, स्थिति में सुधार होगा।
शामलाल कौशल, रोहतक

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सृजन का सम्मान
तेईस अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य विश्वभर के लेखकों को सम्मान और जो लेखक दुनिया को अलविदा कह गए हैं, उन्हें श्रद्धांजलि देना भी है। वहीं इसका मुख्य उद्देश्य लोगों का पुस्तकों के प्रति रुचि बढ़ाने और साक्षरता दर बढ़ाना भी है। बेशक आज इंटरनेट का दौर है, लेकिन आज भी पुस्तकों का बहुत महत्व है। खासतौर पर धर्म, संस्कृति और अन्य प्राचीन इतिहास या जानकारी हमें पुस्तकों से मिल सकती है, उतनी शायद इंटरनेट पर न प्राप्त हो पाएं।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर

सुविधा का फैसला
सात मार्च के दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित समाचार ‘हिमाचल में एचआरटीसी की बसें हुई कैशलेस’ से यह जानकर हर्ष हुआ कि प्रदेश की बसों में कैशलेस भुगतान की सुविधा शुरू होने जा रही है। यानी बसों के अंदर देय भुगतान कर पायेंगे। वहीं हिमाचल पथ परिवहन निगम का ‘मुफ्त बस यात्रा’ के पात्र यात्रियों को ‘जीरो किराये वाले यात्रा पास’ जारी करने का फैसला भी सराहनीय है। अन्य प्रदेशों को भी हिमाचल पथ परिवहन का अनुसरण करना चाहिए।
तिलकराज गुप्ता, रादौर

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