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07:32 AM Apr 11, 2024 IST

जरूरी है जवाबदेही

नौ अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित नरेश कौशल का लेख ‘ऑनलाइन स्वाद के जहरीले सच की जवाबदेही’ अत्यंत प्रेरक व जनमानस के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों की स्वार्थपरता की पराकाष्ठा को उजागर करने का आईना रहा। ऑनलाइन खाने के सामान की सप्लाई करने वाले आउटलेट, होटलों व ढाबों के खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच नियमित रूप से होनी चाहिए ताकि सप्लाई करने वाली कंपनियां स्वच्छता के प्रति सजग रहें। साथ ही उनके मालिकों को जिम्मेदार व जवाबदेह बनाया जा सके। यह विडम्बना ही है कि फास्टफूड सप्लायरों की निगरानी रखने के लिए कोई प्रभावी कानून नहीं बना है।
जयभगवान शर्मा, झज्जर

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न्याय के निहितार्थ

छह अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘न्याय पत्र का पथ’ आगामी संसदीय चुनावों से पहले कांग्रेस के घोषणा पत्र, जिसे न्याय पत्र का नाम दिया गया है, में निहित बातों का वर्णन करने वाला था। इसे ‘न्याय पत्र’ इसलिए कहा गया है क्योंकि कांग्रेस समझती है कि वर्तमान भाजपा सरकार में कुछ लोगों को न्याय नहीं मिला। यानी अगर चुनावों के बाद कांग्रेस की सरकार बनती है तो वह लोगों के साथ न्याय करने के लिए इस प्रकार के उपाय करेंगी। इस तरह के सुनहरी सपने दिखाने वाले कांग्रेस न्याय पत्र की भाजपा ने कड़ी आलोचना की है। पूछा गया है कि इन आश्वासनों को पूरा करने के लिए कांग्रेस पैसा कहां से लाएगी।
शामलाल कौशल, रोहतक

अनुचित प्रयास

एमएसपी से गुस्साए पंजाब और हरियाणा के किसानों ने आगामी लोकसभा चुनाव के प्रचार के चलते भाजपा नेताओं के कुछ गांवों में प्रवेश पर रोक लगा दी है। इससे कुछ हासिल नहीं होने वाला है। पढ़ी-लिखी, जागरूक और समझदार जनता जानती है किसको वोट देना है।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली

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