आपकी राय
लोकतंत्र में अनुकरणीय
हर पांच साल में होने वाले आम चुनाव में गत चुनाव से दोगुना राशि खर्च होती है। ऐसे में मिजोरम में ‘पीपुल्स फोरम’ ने सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के लिए प्रेरणादायक कार्य किया है। यहां पोस्टर लगाने और माइक का इस्तेमाल करने पर रोक लगाकर सभी क्षेत्रों में उम्मीदवारों के लिए एक डिबेट आयोजित की जाती है। इसमें प्रत्येक उम्मीदवार को अपनी बात रखने के लिए कुछ समय दिया जाता है। चुनाव संपन्न होने तक समय-समय पर यह प्रक्रिया चलती रहती है। चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट और आम जनता को मिलकर अब चुनाव में होने वाले भारी खर्च को रोकने के लिए ऐसी ही गाइडलाइन तय करनी चाहिए।
सुभाष बुडावनवाला, रतलाम, म.प्र.
असली खुशी
दो अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून में सम्पादकीय खुशी का पैमाना’ पढ़कर महसूस हुआ कि खुशी का पैमाना सम्पन्नता और समृद्धि नहीं हो सकती। भारतीय संस्कृति एवं जीवन दर्शन में व्यक्ति भौतिक सम्पदा की बजाय आन्तरिक शान्ति और संतुष्टि में खुशी ढूंढ़ता है। भारतीय जीवन मूल्यों में वृद्धों का सम्मान है जबकि पश्चिमी देशों में वृद्ध एकाकी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। भारत में सामाजिक समरसता और साम्प्रदायिक सद्भाव की दिशा में रचनात्मक और सृजनात्मक सुधार होने पर अगली बार खुशी के सूचकांक में भारत का नाम शामिल हो सकता है।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़
फैसले की तार्किकता
शीर्ष अदालत ने आम आदमी पार्टी के नेता एवं सांसद संजय सिंह को दिल्ली के कथित शराब घोटाले मामले में जमानत दे दी है। आप ने इसे बड़ी जीत बताया है जबकि भाजपा ने इसको एक आम जमानत की संज्ञा दी है। लोकसभा चुनाव के दौरान सांसद संजय सिंह की जमानत नि:संदेह आप पार्टी के लिए संजीवनी का काम करेगी। यदि संजय सिंह के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं तो निश्चित रूप से आप पार्टी की यह एक बड़ी जीत है। वहीं ईडी की कार्यशैली एवं मंशा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली