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जागरूक है मतदाता
मोदी सरकार गत 10 वर्षों के कार्यकाल में विदेश नीति के मामले में कारगर नीतियां बनाने में सफल रही है। मामला चाहे विदेश में बसे भारतीयों को वापस लाने का हो, फांसी की सज़ा पाए भूतपूर्व नौसैनिकों का हो, या चीन की कुटिलता का मुंह तोड़ जवाब देने का हो अथवा अमेरिका द्वारा रूस से आयात पर रोक लगाने का हो। हर मामले में सरकार दो कदम आगे रही है। वहीं विपक्ष प्रत्येक मामले में सरकार को कमजोर आंकने में लगा हुआ है। परिणामस्वरूप उनका स्वयं का जनाधार गिरता जा रहा है। सोशल मीडिया के इस दौर में आज सुदूर ग्रामीण क्षेत्र तक के नागरिक भी हर राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय घटना से वाकिफ है। उन्हें मुफ्तखोरी का लॉलीपॉप देकर बहलाया नहीं जा सकता। आज का मतदाता हर कसौटी पर परख कर अपना प्रतिनिधि चुनता है।
विभूति बुपक्या, खचरोद, म.प्र.
समतामूलक हो विकास
पहली अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून में ‘देश में समतामूलक हो विकास का तंत्र’ लेख विश्लेषण करने वाला था। देश की 10 साल पहले अर्थव्यवस्था का विश्व में दसवें नंबर से तीसरे नंबर पर पहुंचना बेहतर उपलब्धि है। चीन को पछाड़कर भारत का विश्व में विकासशील राष्ट्र सिरमौर बन जाना गर्व की बात है। आज निजी क्षेत्र तथा सार्वजनिक क्षेत्र दोनों ही कमाई का साधन बन गए हैं। अंतरिक्ष क्षेत्र में भी अनुकरणीय तरक्की की है। देशी तथा विदेशी निवेश के अवसर बढ़े हैं। लेकिन देश में बढ़ रही आर्थिक असमानता को कम करने की जरूरत है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
अन्न की बर्बादी
आज भी देश में जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा भुखमरी से जूझ रहा है। बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। दूसरी तरफ, एक अच्छा-खासा वर्ग की शादियों, पार्टियों और समारोह में भोजन की बर्बादी देखी जा सकती है। काश्ा! वे अन्न की कीमत जान पाते कि एक भूखे व्यक्ति के लिए उसकी कितनी अहमियत है। जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति अन्न के महत्व को समझे।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली