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जल है तो जीवन है
27 मार्च के दैनिक ट्रिब्यून में पंकज चतुर्वेदी का लेख....बूंद- बूंद सहेजने की मानसिकता बनाए देश... अनियमित, अनिश्चित तथा बहुत ज्यादा बरसात को लेकर दीर्घकाल में पानी को लेकर पैदा होने वाले संकट से खबरदार करने वाला था। हमारे देश में 85 फीसदी बारिश 3 महीने में हो जाती है। बाकी 9 महीने नदियां सूखी रहती हैं। हमारे यहां जब बरसात बहुत ज्यादा होती है तो पानी नदी, नालों आदि में जाकर बेकार चला जाता है। उसके बाद पानी की एक-एक बूंद के लिए हम तरस जाते हैं। हमें बरसात के पानी को संजोकर रखना चाहिए।
शाम लाल कौशल, रोहतक
सौर ऊर्जा का विकल्प
ग्लोबल वार्मिंग के चलते हर जगह तपिश और गर्मी की बात होती है। पर कोई भी सौर ऊर्जा को बिजली के लिए वैकल्पिक तौर पर प्रयोग करने के बारे में बात नहीं करता। प्रति वर्ष गर्मी बढ़ रही है तो क्यों न सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाए? सरकार को सरकारी दफ्तरों व इमारतों, ऐतिहासिक भवनों, सड़कों और पर्यटन स्थलों पर इसका इस्तेमाल कर लोगों को भी सोलर
पैनल लगाने के लिए प्रेरित
करना चाहिए।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली
बाल यौन उत्पीड़न
देश मेें तमाम यौन दुराचार यानी चाइल्ड सेक्सुएल एब्यूज के मामले सामने आते हैं। जिससे बच्चे उन्हीं का शिकार बनते हंै जिन पर उन्हें महफूज रखने की जिम्मेदारी होती है। स्कूल जब-तब मानवता शर्मसार करने वाले किस्से उजागर होते है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2022 तक 389011 शिकायत दर्ज की गई थी। हालांकि लोगो मे जागरूकता भी बढ़ी है। हेल्पलाइन पोर्टलों और ऑनलाइन फोन नंबरों के जरिये लोग शिकायत दर्ज करवा रहे हैं। दरअसल बच्चों के साथ दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न की घटनाएं समाज का काला सच हैं ।
कांतिलाल मांडोत, सूरत
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