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पालाबदल राजनीति
सोलह मार्च के दैनिक ट्रिब्यून में हेमंत पाल का लेख ‘चढ़ते सूरज को अर्घ्य देने को पाला बदल’ मध्य प्रदेश में राजनेताओं द्वारा स्वार्थसिद्धि को लेकर एक पार्टी से दूसरी पार्टी में शामिल होने का पर्दाफाश करने वाला था। ऐसा करने वाले राजनेताओं को पता नहीं शर्म क्यों नहीं आती। भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेसी मुख्य तौर पर तो सत्ता सुख तथा धन बल को लेकर बहाना बना रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेस के लोगों का भाजपा में पलायन कांग्रेस हाईकमान का कमजोर होना, संगठन तथा अनुशासन की कमी, निर्णय लेने में देरी तथा आपसी फूट जिम्मेदार हैं। यह सिलसिला केवल मध्य प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी देखने को मिलता है।
शामलाल कौशल, रोहतक
आर्थिकी की हकीकत
अठारह मार्च के दैनिक ट्रिब्यून में लेख ‘देश की खुशहाली के सूचकांक में भी वृद्धि हो’ भारतीय अर्थव्यवस्था को 2047 में विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का विश्लेषण करने वाला था। सरकार पर्यटन, आईटी सॉफ्टवेयर क्षेत्र में विकास को लेकर देश के विकसित होने का दावा कर रही है। लेकिन वास्तविकता इस दावे के विपरीत विकास दर हमेशा 8 प्रतिशत रहने वाली नहीं है। बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी तथा आय में असमानता लगातार बढ़ रही है। 50 प्रतिशत से ज्यादा कृषि पर निर्भर लोगों की स्थिति चिंताजनक है। वर्तमान स्थिति देखकर नहीं कहा जा सकता कि देश विकसित हुआ है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
चुनावी बयार
आगामी लोकसभा चुनाव के चलते राजनीतिक दलों में गहमागहमी है। परनीत कौर का भाजपा में आना और बीबी जागीर कौर की अकाली दल में वापसी इस बात का इशारा है। नेता अपनी सीट सुरक्षित करने में लगे हैं और गिरगिट की तरह पार्टियां बदल रहे हैं। लक्ष्य सबका एक ही - चुनाव में जीत।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली