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स्वतंत्र नीति बने
लंबे समय से देखने में आ रहा है कि विश्व व्यापार संगठन बड़े देशों के पक्ष में ही काम कर रहा है। वह विकासशील और छोटे देशों के लिए ऐसे नियम बना रहा है जो उन देशों की कृषि उपज और कृषि सब्सिडी पर भारी है। भारतीय किसान तो चाहते हैं कि इस संगठन से बाहर होकर अपनी जरूरत के हिसाब से कृषकों के हित में फसलों की शासकीय कीमत घोषित करे। भारत आज आर्थिक रूप से विश्व की पांचवीं शक्ति बन गया है। ऐसी स्थिति में अब उसे पक्षपातपूर्ण कार्य करने वाली संस्थाओं को त्याग कर स्वतंत्र रूप से नीति निर्धारण करना चाहिए। जिससे कृषकों को भी लाभ हो और जनता को भी उचित मूल्य पर खाद्य सामग्री मिलती रहे।
विभूति बुपक्या, खाचरोद, म.प्र.
शर्मनाक दलबदल
हाल ही में संपन्न हुए राज्यसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में क्रॉस वोटिंग देखने को मिली है। चुनावी सुधारों में लगे बुद्धिजीवियों को जरूर विचार करना चाहिए। देश की राजनीति में दल बदल कानून की धज्जियां सभी राजनीतिक दलों ने उड़ाई हैं। अब राज्यसभा चुनाव राजनीतिक जोड़-तोड़, मोल भाव, खरीद फरोख्त, स्वार्थ और लालच के घेरे में आ चुका है। यह देश की राजनीति के लिए बिल्कुल उचित नहीं है बल्कि राजनीतिक अफरा-तफरी का माहौल लोकतंत्र की जड़ खोखला कर रहा है। इसलिए दल-बदल कानून की सभी कमियों को दूर किया जाए।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
लापरवाही की हद
पिछले दिनों एक मालगाड़ी का बिना ड्राइवर के लगभग 80 किलोमीटर की रफ्तार से पहुंचना रेलवे की लापरवाही काे दर्शाता है। हालांकि रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों ने इस पर नियंत्रण पा लिया। लेकिन यह लापरवाही बहुत से लोगों की जान की दुश्मन भी बन सकती थी। ऐसी गलतियों पर भी रेलवे को ध्यान देना चाहिए। बड़े हादसों का कारण भी लापरवाही ही होती है।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर