मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

आपकी राय

07:57 AM Feb 21, 2024 IST

नस्लवादी सोच

सत्रह फरवरी के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘नफरत का अमेरिका’ अमेरिका में अब तक पांच प्रतिभावान भारतीय छात्रों के मारे जाने के मामले का विश्लेषण करने वाला था। अमेरिका के पूर्व दक्षिणपंथी राष्ट्रपति, डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकन युवाओं को भड़काते हुए कहा था कि भारतीय अपनी योग्यता के कारण अमेरिकन युवाओं को बेकार बना रहे हैं। ट्रंप तो चले गए लेकिन युवाओं में भारतीयों के खिलाफ नफरत के बीज बो गए। भारतीय विद्यार्थी इन अमेरिकन नस्लवादी तथा नशेड़ियों की हिंसा का शिकार हो रहे हैं। केवल अमेरिकी युवा ही नहीं, वहां की पुलिस भी नस्लवाद से मुक्त नहीं है। वास्तव में ये घटनाएं उन अभिभावकों के लिए कष्टकारी हैं जो अपनी जीवन की सारी पूंजी लगाकर बच्चों का भविष्य संवारने के लिए अमेरिका भेजते हैं।
शामलाल कौशल, रोहतक

Advertisement


पब्लिक ट्रांसपोर्ट बढ़े

विश्वभर में पर्यावरण प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाला विषैला धुआं है। यदि शहरों की आबादी के अनुरूप पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध करवाया जाए और लाेग भी अधिक से अधिक इसका उपयोग करें तो निजी वाहनों का उपयोग कम हो सकता है। निजी वाहन अत्यधिक खर्चीले होने के साथ-साथ पर्यावरण को भी प्रदूषित करते हैं। सरकार को भी लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करने के लिए जागरूक करना चाहिए।
विभूति बुपक्या, खाचरोद, म.प्र.


शोर पर रोक लगे

मैरिज पैलेसों में देर रात तक डीजे बजाने और पटाखों के शोर से न केवल बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है बल्कि बुजुर्गों और मरीजों को भी सोने में दिक्कत आती है। वैसे भी बच्चों की परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं। सरकार को रात 10 बजे के बाद गाने बजाने, पटाखे और शोर-शराबे पर रोक लगा इस पर सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए। पालना न करने पर मैरिज पैलेसों का लाइसेंस कैंसिल कर देना चाहिए।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली

Advertisement

Advertisement