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आपकी राय

06:28 AM Feb 16, 2024 IST
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जीने की प्रेरणा

बारह फरवरी के दैनिक ट्रिब्यून में क्षमा शर्मा का ‘जिंदादिल और आत्मनिर्भर बुजुर्गों की हंसी’ लेख में बुजुर्गों को बेफिक्री और हंसी-खुशी से जिंदगी के दिन बिताने का तरीका बताने वाला था। लेखिका ने अनुभवों को साझा करते हुए बुजुर्गों में निराशावादी प्रवृत्ति की आलोचना की है। बुजुर्गों का ध्यान रखना सरकार की जिम्मेदारी है। डॉक्टरों के पास अप्वाइंटमेंट लेकर बुजुर्ग मरीज का मुस्कुराते जाना जीवन में सुखद पलों का अहसास कराते हैं। लेख बुजुर्गों के चेहरे पर आशा की नई किरण जीने की प्रेरणा देती है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

लड्डू के ठाठ

तिरछी नजर के अंतर्गत प्रकाशित शमीम शर्मा का व्यंग्य लड्डू की विशेषता का वर्णन करने वाला था। निश्चय ही लड्डू का कोई विकल्प नहीं। आज चाहे मिठाइयों में जितनी मर्जी विविधता और नयापन आ गया हो पर लड्डू आम आदमी के त्योहारों, खुशियों और जश्न का प्रतीक है। महंगाई ने बेशक आम आदमी के घर का बजट और मुंह का जायका बिगाड़ दिया है। एक सदाबहार लड्डू ही है जिसने हमारी खुशियों को चार चांद लगा रखे हैं। उत्सव छोटा हो या बड़ा, मुंह की मिठास और प्लेट की शान लड्डू ही बढ़ाते हैं।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली

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सांस्कृतिक-आर्थिक साझेदारी

अबु धाबी में आयोजित ‘अहलान मोदी’ कार्यक्रम और मंदिर उद्घाटन भारत-यूएई के बढ़ते संबंधों को दर्शाता है। भारत यूएई को एक प्रमुख आर्थिक भागीदार और पश्चिम एशिया का प्रवेशद्वार मानता है। यह संबंध घरेलू राजनीति से परे है और वैश्विक बदलावों को दर्शाता है। यूएई तेल से परे विविधीकरण चाहता है, भारत एक स्थिर बाजार और निवेश के अवसर प्रदान करता है। निश्चय ही दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के साथ व्यापार में भी सुदृढ़ संबंध स्थापित होंगे।
इब्ने फारूक, मुंबई

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