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06:39 AM Feb 09, 2024 IST

रत्न के मायने

पांच फरवरी के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘भारत रत्न के मायने’ विषय पर चर्चा करने वाला था। भाजपा को वर्तमान स्थिति में लाने का श्रेय लालकृष्ण आडवाणी को ही जाता है। राम मंदिर मुद्दा और सोमनाथ से अयोध्या तक प्रस्तावित रथ यात्रा की सफलता को भुलाया नहीं जा सकता है। लेकिन अपनी ही सरकार के समय में उनका गुमनाम रहना सवालिया निशान लगाता है। लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का उद्देश्य राजनीतिक ही कहा जा सकता है। इसी प्रकार चुनावों से पहले कर्पूरी ठाकुर मतदाताओं को लुभाना है। भारत रत्न देश का सर्वोच्च सम्मान है इसे राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

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भ्रष्टाचार की जमीन

छह फरवरी के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘भ्रष्टाचार का वार’ सरकार की नाकामी का पर्दाफाश करने वाला था। हालांकि रिपोर्ट विश्व की अनेक संस्थाओं से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। वैसे सरकार भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए कृतसंकल्प है, इसके बावजूद भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। सरकार द्वारा छापेमारी में लोगों के पास काला धन देखने को मिलता है। इससे लोगों में आक्रोश, निराश तथा चिंता होती है। व्याप्त भ्रष्टाचार को देखते हुए विदेशी निवेश कर्ता भी भारत में निवेश करने से कतराते हैं। सरकार को इस संदर्भ में तुरंत तथा कड़ी नीति अपनानी चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक

साम्राज्यवादी मंसूबे

इस समय उत्तर कोरिया, रूस और चीन विश्व की सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं। निरंकुश सत्ता और खतरनाक हथियारों के चलते ये और खतरनाक बन गये हैं। चीन पहले ही तिब्बत और हांगकांग को निगल चुका है। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन को परमाणु हथियारों से विशेष लगाव है। वहीं रूस के राष्ट्रपति पुतिन अपने पूर्व के राज्यों (अब देश) का अस्तित्व मिटाने के मिशन पर निकले हैं। जरूरी है कि पूरा विश्व एकजुट होकर इन तीन देशों का समय रहते कोई हल निकाले।
तिलकराज गुप्ता, रादौर

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